सुल्तानपुर जिला जेल में बन्द हत्या के एक मामले में सजा काट रहे अब्दुल वाहिद नामक एक मुस्लिम कैदी हर मंगलवार सुंदरकाण्ड का पाठ करवाकर गंगा-यमुनी तहजीब की नई मिसाल कायम कर रहा है। हर मंगलवार खुद अब्दुल वाहिद जेल में बंद अन्य बंदियों के साथ सुंदरकाण्ड की चौपाइयां पढ़ते हैं और ताली बजाकर मगन हो जाते हैं। अब्दुल वाहिद को देखकर अन्य बन्दी, बन्दी रक्षक और कैदी भी भावविभोर हो जाते हैं।
3 साल पहले शुरू किया था पाठ यहां जिला जेल में 65 साल के अब्दुल वाहिद को पांच साल पहले हत्या के एक मामले में 10 साल की सजा मिली थी। साल 2016 में उन्होंने तत्कालीन जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार शुक्ल के सामने हर मंगलवार को जेल में सुंदरकाण्ड करवाने की इच्छा जाहिर की। अब्दुल वाहिद का विचार और उनकी यह सोच उन्हें बहुत अच्छी लगी। वह तुरंत इसके लिए राजी हो गए। मार्च 2016 से जेल में सुंदरकाण्ड का आयोजन नियमित चल रहा है। अब्दुल वाहिद न सिर्फ सुंदरकांड पाठ का आयोजन करते हैं, बल्कि वे खुद सुंदरकाण्ड की चौपाइयां भी पढ़ते हैं।
गुरुओं से मिले ज्ञान को बांट रहे अब्दुल वाहिद बकौल वाहिद, ”मैंने हिन्दी माध्यम से स्कूली पढ़ाई की थी। मेरे गुरुओं ने जो शिक्षा दी थी, उसका काफी असर आज भी मुझ पर है। मेरी नजर में कोई धर्म बड़ा या छोटा नहीं होता है। मैं सभी धर्मों में समान आस्था रखता हूं ,क्योंकि ” मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना।”
बढ़ता है आपसी भाईचारा बता दें कि अब्दुल वाहिद के इस प्रस्ताव को जेल में बंद सभी बन्दी ,कैदी और जेल अधिकारियों कर्मचारियों ने दिल खोलकर स्वागत किया। वाहिद ने बताया, “सुंदरकाण्ड के बहाने जेल के सभी कैदी
ध्यान मग्न होकर ईश्वर को याद करते हैं। इससे आपसी भाईचारा बढ़ता है। जेल के अधिकारी भी इसमें शामिल होते हैं।”