“1959 में हुआ दुर्गा पूजा का शुभारंभ” जिले में दुर्गापूजा का शुभारंभ 1959 में ठठेरी बाजार में भिखारीलाल सोनी व उनके सहयोगियों ने कराया था। यहां से शुरू हुआ दुर्गापूजा का सिलसिला समय के साथ बढ़ता ही गया। स्व. भिखारीलाल के चचेरे भाई बाबा राधेश्याम सोनी बताते हैं कि दूसरी प्रतिमा की स्थापना रुहट्ठा गली में बंगाली प्रसाद सोनी ने 1961 में कराई। 1970 में दो प्रतिमाएं और जुड़ीं। इसके अगले वर्ष कालीचरन ने श्री संतोषी माता और राजेंद्र प्रसाद (रज्जन सेठ) ने मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना कराई। 1973 में श्री अष्टभुजी माता, श्री अंबे माता, श्री गायत्री माता, श्री अन्नपूर्णा माता की स्थापना के साथ ही दुर्गापूजा महोत्सव में तब्दील हो गया। यही नहीं इस समय शहर के दुर्गापूजा महोत्सव से प्रेरित होकर जिले की सभी तहसीलों व कस्बाई क्षेत्रों में भी प्रतिमाओं की स्थापना की जाने लगी है।
“ठठेरी बाजार में बड़ी दुर्गा और बाटा गली में बन रहा ज्वाला देवी का मंदिर” शहर की बाटा गली में पार्वती माता पूजा समिति के तत्वावधान में इस बार दुर्गा पूजा महोत्सव को लेकर हिमाचल की ज्वाला देवी मंदिर की गुफा का निर्माण हो रहा है। समिति के मंत्री मुकेश मिश्र ने बताया कि पिछली बार मां वैष्णो की गुफा बनाई गई थी। इस बार ज्वाला देवी मंदिर के निर्माण में करीब तीन लाख रुपये का खर्च आ रहा है। डेढ़ लाख रुपये गुफा के निर्माण में लगे झारखंड के कारीगर को दिया जाएगा। इसके अलावा गुफा में शिव-पार्वती के पूरे परिवार व ज्वालामुखी देवी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।