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सुल्तानपुर

पत्रकार पर हमला कर हुई लूट, पुलिस ने धाराओं में किया खेल

हमलावरों ने एक सोने की चेन,अंगूठी व 6100 रूपये नकदी भी लूट लिया।

सुल्तानपुरMay 24, 2018 / 07:48 pm

Dikshant Sharma

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सुलतानपुर। अखबार के दफ्तर से देर शाम घर जा रहे पत्रकार पर हुए हमले और लूट समेत अन्य मामलों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में ही खेल कर दिया है। नतीजतन पुलिस ने एफआईआर में तहरीर का हवाला तो दिया है,लेकिन धाराएं हल्की लिखी गयी हैं। पुलिस की यह कार्यशैली सवालों के घेरे में है।
मामला कोतवाली नगर थाना क्षेत्र के विवेक नगर से जुड़ा है। जहां के रहने वाले सतीश मिश्र एक हिंदी दैनिक अखबार में काम करते हैं। आरोप के मुताबिक बीते 22 मई की देर शाम को वह अपनी बाइक से घर के लिए जा रहे थे,इसी दौरान मधुसूदन इंटरकालेज के पास रास्ते में मैजिक सवार सात लोगों ने उन्हें रोक लिया आैर धारदार हथियार से हमला बोल दिया। आरोप है कि हमलावरों ने सतीश मिश्र की एक सोने की चेन,अंगूठी व 6100 रूपये नकदी भी लूट लिया। इस मामले में पुलिस ने सतीश मिश्र की तहरीर पर मात्र भादवि की धारा 147,323,504,506 में मुकदमा दर्ज किया है,जबकि पुलिस ने एफआईआर में सतीश मिश्र की तहरीर में दर्शाये गये समस्त तथ्यों का हवाला दिया है। बावजूद इसके तहरीर के मुताबिक धाराएं नहीं दर्ज की गयी।
पुलिस नियमवाली के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में ऐसा कर बड़ी भूल की है। नगर कोतवाल श्याम सुंदर पांडेय से एफआईआर में सही धाराएं न दर्ज करने के बाबत बात की गयी तो उन्होंने अपनी सफाई देते हुए एफआईआर दर्ज करने के पहले ही अपनी तेज तर्रार पुलिस की जरिये की गई जांच में पाये गये मामले के अनुसार धाराएं दर्ज करने का बहाना रखा। किस व्यवस्था के तहत संज्ञेय अपराध के मामले में बगैर एफआईआर दर्ज किये ही प्राथमिक जांच करने के विषय पर उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बात को टाल दिया आैर सतीश मिश्र के खिलाफ भी अगले पक्ष के जरिए एफआईआर दर्ज कराने की बात कही।
वहीं कानून की माने तो संज्ञेय अपराध से जुड़े मामलो में प्राथमिक जांच का अधिकार पुलिस को है ही नहीं,बल्कि विधि व्यवस्थाओं में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह निर्देश दिया है कि संज्ञेय अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस सूचना झूठी हो या सही हो उसे दर्ज किया जाना अनिवार्य है। बल्कि जांच में मामला झूठा पाये जाने पर मामले को खत्म करने एवं अभियोगी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार पुलिस को दिया गया है। इसके बावजूद पुलिस ने इस मामले में ऐसा क्यों किया, यह तो कोतवाल ही जाने,फिलहाल पुलिसिया कार्यशैली को लेकर पत्रकारों में आक्रोश है। गुरुवार को पत्रकारों ने इसी मुद्दे पर डीएम कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।
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