बीते 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुलतानपुर में कानून व्यवस्था एवं विकास कार्यों का जायजा लेने पहुंचे थे। पंडित रामनरेश त्रिपाठी सभागार में पंचायती राज व्यवस्था का शुभारम्भ करने के बाद जब सीएम योगी कलेक्ट्रेट में कानून व्यवस्था का जायजा लेने पहुंच रहे थे तभी सपा छात्रसभा के वैभव मिश्रा, विकास चैरसिया आदि ने दौड़ लगाकर मुख्यमंत्रीे के काफिले के सामने पहुंचकर काला झण्डा लहराया था। जिन्हें सीओ सिटी श्यामदेव नेे तत्काल गिरफ्तार करा लिया था। काला झण्डा दिखाये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया था। आखिर यह झण्डा क्यों और किसके इशारे पर दिखाया गया ? इसकी भी सच्चाई खुलने लगी है। सूत्रों के मुताबिक काला झण्डा दिखाये जाने के बाद कुछ वर्दीधारी जो माफियाओं से सम्बन्ध रखने के चलते लाइन में नजर आ रहे हैं वे खूब खुश नजर आये थे। उन्हें यह लग रहा था कि अब कप्तान और सीओ के खिलाफ कार्यवाही तय है। वजह यह है कि कप्तान की निष्पक्षता के चलते ऐसे वर्दीधारियों की दाल नहीं गल रही है। इतना ही नहीं ट्रान्सफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी लेने वाले कुछ तथाकथित लोग भी हैरान और परेशान है। बताया तो यहां तक भी जा रहा है कि काला झण्डा दिखाये जाने के पीछे घिनौनी साजिश थी और यह साािजश बस स्टेशन पर रची गयी थी।इसके लिए काफी प्रोत्साहन भी दिया गया था। लेकिन जब सच्चाई उजागर हुई तो सभी साजिश रचने वाले औंधे मुंह गिर पड़े। इतना ही नहीं काला झण्डा दिखाये जाने के बाद कुछ ऐसे भी लोग खुश थे जो अधिकारियों के सामने मुंह में राम और बगल में छूरी रखकर जाते रहे है। इतना ही नहीं जमानत के बाद जुलूस भी निकालने की तैयारी थी लेकिन पुलिस प्रशासन और आला अधिकारियों की निष्पक्षता के चलते कई समाजसेवी इसमें रोड़ा बन गये थे। नही ंतो इस मामले को और भी ज्यादा तूल देने की तैयारी की गयी थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक ऐसी करतूत रचने वालों के खिलाफ कार्यवाही जल्द हो सकती है। हालांकि गुमनाम सपाइयों में शुमार काला झण्डा दिखाने वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी से टानिक मिल गयी है और वे शीर्ष नेतृत्व की आंख के तारे बन चुके हैं।