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सुल्तानपुर

Pitru Paksha 2020 : पितृदोष से बचना है तो करें पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण

पितृपक्ष 2020 इस साल 2 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है।

सुल्तानपुरSep 01, 2020 / 12:26 pm

Mahendra Pratap

Pitru Paksha 2020 : पितृदोष से बचना है तो करें पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण

Pitru Paksha 2020 : पितृदोष से बचना है तो करें पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण

सुलतानपुर. पितृपक्ष 2020 इस साल 2 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। सनातन परंपरा और वैदिक धर्म के अनुसार पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में किये जाने वाले श्राद्ध कर्म में पूर्वजों को पिंडदान, तर्पण, हवन के अलावा उनकी आत्मा की शांति के लिए और अपने कल्याण के लिए अन्नदान करना परम् आवश्यक होता है। सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में जो लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध कर्म से पितरों को शांति मिलती हैं। वे प्रसन्‍न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्‍त होता है। यह जानकारी आचार्य डॉ शिवबहादुर तिवारी ने दी।
165 साल के बाद बाद अद्भुत संयोग :- आचार्य तिवारी ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष 2020 में एक ऐसा संयोग बन रहा है जो कि 165 साल बाद आया है। 165 साल बाद बनने वाले इस संयोग के मुताबिक हर साल पितृपक्ष के ख़त्म होने के अगले दिन से नवरात्र शुरू हो जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि इस बार पितृ पक्ष ख़त्म होते ही अधिमास या अधिकमास (मलमास) लग रहा है। इसी अधिमास (मलमास) के चलते पितृ पक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर हो रहा है और ऐसा विचित्र संयोग 165 साल के बाद आने जा रहा है, जब आश्विन मास में मलमास लगेगा और एक महीने के बाद नवरात्र शुरू होंगे। अधिमास (मलमास) 18 सितम्बर 2020 से शुरू होकर 16 अक्टूबर 2020 तक चलेगा और इसके अगले दिन से या 17 अक्टूबर 2020 से नवरात्र शुरू हो जाएंगे।
महिला-पुरूष में भेद नहीं :- आचार्य डॉ शिव बहादुर तिवारी कहते हैं कि पितृपक्ष में पितरों को किये जाने वाले तर्पण में जाति-धर्म और महिला-पुरुष में कोई अंतर या भेद नहीं होता है। श्राद्ध तर्पण में महिला पुरुष का बराबर महत्व होता है।
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