ये भी पढ़ें- दालों की हो रही कालाबाजारी, पीली मटर का बेसन बाजार में चने के बेसन के रूप में बेचा जा रहा राम तीर्थ वर्मा इस वर्ष मल्चिंग विधि का प्रयोग करते हुए टमाटर की फसल (खेती) कर दूसरे किसानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। रामतीर्थ कम लागत में रोग रहित खेती को देखने के लिए जिले ही नहीं बल्कि इससे बाहर के किसान भी आते हैं। राम तीर्थ वर्मा पिछले 20 साल से सब्जी की खेती करते चले आ रहे हैं। परंपरागत ढंग से सब्जी की खेती करने से इन्हें लागत निकालना भी मुश्किल पड़ जाता था। लेकिन एक साल पहले वह सीमैप और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सूर्य प्रकाश मिश्र से मिले जिसके बाद वह इस वर्ष करीब 4 बीघे टमाटर के पौधे लगा रहे हैं। अधिक पैदावार के लिए उन्होंने लखनऊ से संबंधित सामग्री खाद एवं पौध मंगवाए हैं। रामतीर्थ का कहना है कि इससे पौध रोग रहित होते हैं। वहीं फसल की पतंगों से भी सुरक्षा मिलती है। इस विधि के प्रयोग से पौधे के आसपास खरपतवार नहीं होता है। जिससे रोग लगने की संभावना भी नहीं होती है।
ये भी पढ़ें- बड़ा हादसाः कुंए में गिरे बछड़े को निकालने गए पांच युवकों की मौत, मरने वालों में 4 एक ही परिवार के ऐसे होती है मल्चिंग खेती- वह बताते हैं कि मल्चिंग विधि में रोपाई कर पौधे को पारदर्शी पॉलिथीन से ढका जाता है। इस विशेष पॉलिथीन से फसल को प्रकाश संश्लेषण का पूरा लाभ मिलता है। कृषि वैज्ञानिक सूर्य प्रकाश मिश्र ने बताया कि धूप, हवा व पानी से पौधे को पोषक तत्व बढ़कर मिलता रहता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है। वह कहते हैं कि पौध लगने के बाद रोजाना इनकी देखभाल करने के जरूरत पड़ती है। लगने दो महीनों बाद इनकी पैदावार हो जाती है।
लाखों का होता है मुनाफा- रामतीर्थ इन्हें इलाहाबाद, आगरा व कानपुर मंडी में इसे बेचते हैं। और लाखों का मुनाफा कमाते हैं। केवीके के कृषि विशेषज्ञ सूर्य प्रकाश मिश्र कहते हैं कि मल्चिंग विधि के लिए खेती-किसानी खास लाभकारी है। इस तरह की खेती करके और मल्चिंग विधि का उपयोग कर किसान दवाओं का खर्च बचा सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सब्जी पैदा कर सकते हैं।