वहीं इस घटना के 24 घंटे के भीतर शावक रेवा ने भी गुरुवार की दोपहर दम तोड़ दिया। एक साथ दोनों शावकों की मौत से वन अधिकारी-कर्मचारी जहां सकते में हैं वहीं अन्य हाथियों को लेकर भी उनकी चिंता बढ़ गई है। 3 डॉक्टरों की टीम ने दोनों शावकों के शवों का पीएम किया। दोनों के एचवी-1 वायरस की चपेट में आने की आशंका जताई जा रही है।
गौरतलब है कि सरगुजा संभाग में मानव व हाथियों के द्वंद्व को रोकने मैसूर के दुबारे एलिफैंट कैंप से 5 कुमकी हाथियों को 4 साल पूर्व लाकर तमोर पिंगला अभयारण्य में लाया गया था। 5 कुमकी हाथियों के साथ 2 अन्य हाथियों को रखा गया है। हथिनी युगलक्ष्मी और हाथी गंगा से रेवा और लक्ष्मण शावक ने जन्म लिया था।
शावक रेवा ने भी तोड़ा दम
शावक लक्ष्मण के बाद शावक रेवा में भी संक्रमण की संभावना थी। इस कारण उसे अलग रख इलाज किया जा रहा था, बाकी हाथियों को भी दूर बांधकर रखा गया था। वायरल रोकने कई प्रकार के सेनेटाइजर का छिड़काव किया जा रहा था। रेवा के इलाज और संक्रमण की सम्भावना को देखते हुए और डॉक्टरों की टीम यहां पहुंच गई थी।
शावक लक्ष्मण की मौत के बाद एचवी-1 के लिए लिए गए सैम्पल की रिपोर्ट तो नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि इसी वायरस की चपेट में दोनों आए हैं। बताया जा रहा है कि एचवी-1 वायरस तेजी से असर डालता है और संभलने का मौका नहीं देता।
अन्य हाथियों की चिंता
24 घंटे में दोनों शावकों की मौत से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। सीएफ के. मैथ्यू भी तमोर पिंगला अभयारण्य पहुंचे थे। वन विभाग के सामने अब सबसे बड़ी चिंता बाकी हाथियों को लेकर है कि कहीं वे भी संक्रमित न हो गए हों।