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सुरजपुर

वन विभाग ने कर दिए करोड़ो रूपये खर्च लेकिन इस कारण काबू में नहीं आ रहे हाथी

* हाथी मानव द्वंद लगातार जारी कुमकी हाथी परशुराम भी हुए बेलगाम ,बिना कुमकी के पहनाया रेडियों कॉलर* चार दिन में पांच लोग बने जंगली हाथी के शिकार* कुमकी के रहते महासमुंद में एक साल में पांच लोगों की मौत* पेड़ो के आभाव से हाथी लगातार बढ़ रहे है रहवासी क्षेत्र में

सुरजपुरMay 04, 2019 / 10:48 pm

Deepak Sahu

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वन विभाग ने कर दिए करोड़ो रूपये खर्च लेकिन इस कारण काबू में नहीं आ रहे हाथी

रायपुर। प्रदेश में हाथी और मावन के बीच द्वंद को रोकने के लिए शासन प्रशासन कई योजानाएं बनाते है । लेकिन हाथियों पर इसका कोई असर नही हो रहा है। गजराज अभियान के तहत कर्नाटक के मैसूर स्थित दुबेर एलिफेंट कैंप से जनवरी 2018 में पांच कुमकी हाथी को छत्तीसगढ़ राज्य में वन विभाग द्वारा लाया गया था।
महासमुंद जिले के बोरिद के पास कैंप बनाकर एक साल प्रशिक्षण देने के बाद हाथियों को सरगुजा के तमोर पिंगला में महावतों के देखरेख में रखा गया है। एक साल में कुमकी हाथियों के रहते महासमुंद में पांच लोगों की मौत हो चुकी है । इसके साथ ही परशुराम ने कैंप में बिना कुमकी के मदद के पांच हाथी को रेडियों कॉलर पहनाया है।जंगली हाथियों को निगरानी करने के लिए सेटेलाइट रेडियों कॉलर हाथी दल के मुखिया को पहनाया जा रहा रहा है।


पांच दिन में चार लोगो की मौत एक घायल

30 अप्रेल की रात महासमुंद के फरसाडीह के खेत में रखवाली कर रहें काशीराम यादव को हाथी ने मारा था। 3 मई को कुनकुरी वन मंडल के ईब नदी के पास दंतैल ने पहले पंखरासियुस कुजूर को अपना शिकार बनाया था वही दंतैल फिर दो किमी पंडरीपारा के तरसियुस को पैरो से कुचल दिया था। 4 मई को धरमजय वन मंडल के सिथरा में एक जंगली हाथी ने सेवानिवृत फौजी इरदौस लकड़ा को सूंड से उठाकर मार दिया । 4 मई को ही मैनपुर से से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नाउमुडा पंडरीपानी के जंगल में हाथी ने महुआ बीनने वाले जगत राम नेताम को कुछ दुरी तक दौड़ाया इसके बाद जगत राम ने जंग दौड कर अपनी जान बचाया ।
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कुमकी पर सिर्फ हो रहे खर्च

कुमकी हाथी को ट्रांसपोर्ट से लाने में करोड़ो रुपए खर्च हो गए है । इसके बाद भी इन कुमकी का उपयोग किसी भी गजराज को रेडियों कॉलर पहनाने में मदद नही लिया गया है, साथ ही रेडियों कॉलर पहनाने के लिए स्थानीय टीम के वन्यप्राणी चिकित्सक और एसओएस की टीम पैदल चलकर रेडियों कॉलर पहना रहे है। अभी तक के एशिया में ऐसा प्रयोग पहली बार हुआ है। जहां पर बिना किसी हाथी की मदद से पांच हाथीयों को सेटेलाइट रेडियों कॉलर सफालता पूर्वक पहनाया गया है।

घंटा और गजराज वाहन फेल

हाथियों के निगरानी करने के लिए वन विभाग द्वारा गजराज वाहन खरीदा गया था । लेकिन यह वाहन से हाथी पर अब तक काबू नही पाया गया है। साथ ही तात्कालीन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शीरीष चंदर अग्रवाल द्वारा हाथियों के गले में घंटा पहनाने के लिए करीब एक लाख का घंटा खरीदा गया था । जिसे केवल कुमकी हाथियों को पहनाया गया था । बाकि हाथियों को अब तक नही पहनाया गया है।
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पानी और पेड़ो के आभाव

वन क्षेत्र में पहले छोटे वन्य प्राणी विचरण करते थे । जिसके लिए छोटे-छोटे तालाब और पेड़ पर्याप्त था । लेकिन प्रदेश में लगातार हाथियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वनो में पानी ,फलदार और छायादार पेड़ो की कमी के कारण हाथी लगातार रहवासी क्षेत्र में आकर जान माल को हानि पहुचाते है ।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ राकेश चतुर्वेदी का कहना है हाथी विचरण क्षेत्र में फलदार वृक्ष के साथ छायादार पेड़ बरगद और पीपल का पौधरोपण करेगें साथ ही कुमकी हाथियों के व्यवहार को जानने के लिए वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों से चर्चा करेगें ।
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