Health Service: सड़क की सुविधा नहीं होने से एंबुलेंस (Ambulance) नहीं पहुंच पाई गांव तक, 3 किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला की जोहती रही बाट, रास्ते में डिलीवरी (Delivery on the way) होने के बाद परिजन एंबुलेंस तक पहुंचाने की बजाय लौट गए घर
Woman delivered child on the way
ओडग़ी. Health Service: देश को आजादी मिले 75 साल बीत गए, लेकिन हमारी स्वास्थ्य सेवाएं अब भी अव्यवस्था की चारपाई पर बीमार पड़ी है। दर्द से तड़पती एक पंडो जनजाति की गर्भवती महिला को खाट पर उठाए परिजन एंबुलेंस तक पहुंचाने मोहल्ले से 3 किलोमीटर पैदल चलने को विवश हुए।
डिलीवरी कक्ष में प्रसव पीड़ा की सुविधा मिलने की जगह गर्भवती व उसके परिजन इस दहशत में रहे कि कहीं अस्पताल पहुंचने से पहले कोई अनहोनी न हो जाए। लेकिन बीच रास्ते में ही खाट पर ही महिला का प्रसव हो गया, उसने बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद परिजन वापस महिला को बच्चे सहित खाट पर ढोकर घर लौट आए।
ओडग़ी क्षेत्र में सड़कों के अभाव में इस तरह के मामले पूर्व में भी सामने आ चुके हैं। ओडग़ी विकासखंड के ग्राम पंचायत भवंरखोह के पारा सेमरखाड़ निवासी बसंती पंडो पति रामभरोस पंडो को गुरुवार की शाम 6 बजे प्रसव दर्द शुरू हुआ। प्रसव सुविधा के लिए परिजनों द्वारा महतारी एक्सप्रेस 102 में फोन किया गया।
लेकिन रास्ता खराब होने के कारण परिजन महिला को खाट में लिटाकर अंधेरी रात में लगभग तीन किलोमीटर के पगडंडी रास्ते में पैदल निकल पड़े। IMAGE CREDIT: Woman delivery इसी दौरान महिला की प्रसव पीड़ा काफी बढ़ गई और रास्ते में ही खाट पर उसका प्रसव हो गया। उसने बच्चे को जन्म दिया। फिर परिजन खाट पर जच्चा-बच्चा को ढोकर वापस घर ले आए। परिजनों ने कहा कि पारा में सड़कों का हाल बेहाल है।
250 की जनसंख्या पर सड़क की हालत खस्ता ग्रामीणों ने बताया कि भवंरखोह गांव के सेमरखाड़ में लगभग 250 लोगों की जनसंख्या है परन्तु पारा से गांव तक लगभग 3 किलोमीटर की कच्ची सड़क पगडंडी रास्ते व गड्ढे में तब्दील हो गया है। बीच-बीच में छोटे छोटे नालों पर पुल भी नहीं है। पंडो जनजाति के लोगों ने सरकार से जल्द से जल्द पुल व सीसी सड़क की मांग की है।