गौरतलब है कि तमोर पिंगला अभ्यारण्य में अधिकारी-कर्मचारियों की संलिप्तता से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और लकड़ी तस्करी का मामला सामने आया था। लंबे समय से अभ्यारण्य में पेड़ों की कटाई और तस्करी तो होती ही है,अधिकारियों ने रेस्क्यू सेंटर के नाम पर अनगिनत हरे पेड़ों को कटवा दिया था। इतना ही नहीं रमकोला स्थित कार्यालय परिसर में ही बेधड़क आरा लगा लकड़ी की चिराई भी कराई और पटरा चौखट बनवा उसकी भी तस्करी कर दी थी।
बिना किसी रोक-टोक के पेड़ कटवा रहे अधिकारियों में उस समय खलबली मच गई थी जब मामला सामने आ गया था। इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद भी राजनीतिक संरक्षण और दोषी अधिकारियों की शासन पैठ के कारण कार्यवाही नहीं हो रही थी जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने रमकोला में चक्काजाम और स्थानीय कार्यालय का घेराव किया था।
इस दौरान उपस्थित नायब तहसीलदार को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंप जांच और कार्यवाही की मांग की थी जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम प्रतापपुर पूरे मामले की जांच करा प्रतिवेदन मांगा था।
नायब तहसीलदार व आरआई ने दर्ज किया बयान
कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम प्रतापपुर रवि सिंह ने नायब तहसीलदार पड़वार को पटवारियों के साथ मौके विस्तृत जांच करने निर्देश दिए थे। जांच दल ने यहां ग्रामीणों और वन वनकर्मियों की उपस्थिति में रेस्क्यू सेंटर निर्माण, जंगल और रमकोला कार्यालय कैम्पस का निरीक्षण किया। सबसे पहले उन्होंने कार्यालय रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया जहां उन्हें करीब 250 ठूंठ व कटी हुई बल्लियां भी मिलीं।
यहां महावत भवन, चिकित्सालय, स्टाफ क्वार्टर व अन्य निर्माण की जगह ठंूठ दिखाई दे रहे थे। इसके बाद ग्रामीणों ने जंगल के अंदर का हिस्सा उन्हें दिखाया जहां भी बड़ी तादाद में कटे हुए पेड़ ,ठूंठ और उखाड़ी गयी जड़ें मिलीं, जिनकी संख्या 3 हजार से ज्यादा बताई गई है। ग्रामीणों ने बालू और पत्थर उत्खनन की जगहों को भी दिखाया जहां से गैर कानूनी तरीके से उत्खनन विभाग के कर्मचारियों द्वारा ही कराया जा रहा है।