रिटायर्ड आरआई रमागोविंद शर्मा ने लिखित शिकायत में आरोप लगाया है कि उन्होंने कुछ महीने पूर्व अपने परिवार के नाम से दर्ज भू-स्वामी हक की जमीन का सीमांकन कराने हेतु आवेदन पिलखा नायब तहसीलदार को दिया था। इस पर नायब तहसीलदार के वाचक ने आदेश जारी कराने का खर्च 2 हजार रुपए बताया था।
इस पर शर्मा ने जब नायब तहसीलदार के समक्ष इसकी शिकायत की उन्होंने भी वाचक की बात मान लेने की समझाइश दी। इससे नाराज होकर शर्मा ने पूरे मामले की शिकायत जनदर्शन में कलक्टर से की थी। इस पर कलक्टर केसी देवसेनापति ने जनदर्शन में मौजूद नायब तहसीलदार को फटकार भी लगाई थी।
शर्मा ने आरोप लगाया है कि कलक्टर से शिकायत करने पर नायब तहसीलदार ने उनके विरूद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107, 116 के तहत मामला दर्ज कर जमानती वारंट जारी किया व बिश्रामपुर पुलिस की मदद से उनके घर समंस भेज १५ दिन के भीतर जमानतदार के साथ उपस्थित होने हेतु आदेशित किया है। शर्मा ने कमिश्नर से गुहार लगाकर नायब तहसीलदार व उनके वाचक के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की है।
झूठे मामले में फंसाया गया
रमाकांत शर्मा ने पत्रिका को बताया कि नायब तहसीलदार द्वारा उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है, वे इसे व्यवहार न्यायालय में चुनौती देंगे। नायब तहसीलदार के खिलाफ यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमे आरोप लगे हों।
पूर्व में भी ग्राम सतपता स्थित व भूमि का क्षेत्रफल से अधिक भूमि बिकवाने व शासकीय पट्टे की भूमि को नियम विरूद्ध तरीके से चौहद्दी सत्यापन की जांच कमिश्नर के निर्देश पर कलक्टर द्वारा कराई जा रही है।
नहीं आई है ऐसी जानकारी
अभी तक ऐसी कोई जानकारी मेरे पास नहीं आई है। सीमांकन के जो भी आवेदन आते हैं, उसकी विधिवत जांच कराई जाती है। रमागोविंद शर्मा की गतिविधियां संदिग्ध रहीं हैं। इस विषय पर ज्यादा कहना ठीक नहीं है, जब कुछ जानकारी मेरे पास आएगी, तब देखा जाएगा।
उमेश कुशवाहा, नायब तहसीलदार, पिलखा