यहां के Sanjivani एक्सप्रेसों की रफ्तार धीमी, कराहते मरीजों को ले जाते खुद भर रहे कराह
किसी भी वाहन का चालू नहीं एसी सिस्टम, नहीं जलती ब्लिंकर लाइट, इंजन भी कंडम, इंजन और दरवाजों की भी हालत खस्ता
सूरजपुर. लोगों को नई जिन्दगी देने के लिए जिले भर में दौड़ रही संजीवनी वाहनों की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। इन वाहनों की हालत ऐसी है कि न जाने कब कराहते- तड़पते मरीजों को लेकर रास्ते में खड़ी हो जाए।
लेकिन इन कबाड़ हो चुकी वाहनों को बदलने की विभागीय स्तर पर पहल करने की बजाय सेवा अवधि में इजाफा कर इनाम दिये जाने से विभागीय उच्चाधिकारियों एवं वाहन एजेंसी के संचालकों की मिलीभगत स्पष्ट परिलक्षित हो रही है।
सूरजपुर जिले में जीवीके कम्पनी के माध्यम से 6 संजीवनी एक्सप्रेस 108 वाहन एवं 10 महतारी एक्सप्रेस 102 वाहन का संचालन सभी 6 विकासखण्डों में संचालित है। लगभग 5 वर्षों से सूरजपुर, रामानुजनगर, प्रेमनगर, भैयाथान, ओडग़ी एवं प्रतापपुर विकासखण्ड क्षेत्र की सड़कों पर मरीजों और घायलों को नई जिन्दगी देने दौड़ती रही है।
इस भाग दौड़ के दौर में इन वाहनों ने अपनी सेहत का कभी ख्याल नहीं रखा, परिणाम स्वरूप संजीवनी वाहनों की हालत कंडम हो गई। संजीवनी वाहनों ने अब तक कई घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई है। फिर भी उनकी हालत सुधारने कोई पहल नहीं की जा रही है।
जिले में चार और संजीवनी की जरूरत
जिला बन जाने के बाद जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों से रेफर होकर सूरजपुर आ रहे मरीजों के इलाज की व्यवस्था न होने की स्थिति में मरीजों को संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मेडिकल कालेज भेजा जाता है। कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने के कारण गंभीर मरीजों को 108 से ही अम्बिकापुर भेजे जाने से जिला मुख्यालय में कोई घटना होने की स्थिति में 108 नहीं मिल पाती।
इस दृष्टि से जिला चिकित्सालय में 108 संजीवनी एक्सप्रेस वाहन की संख्या बढ़ाकर तीन करने की जरूरत है। इसी प्रकार सुदूर वनांचल क्षेत्र चांदनी बिहारपुर और भटगांव की दूरी जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण यहां भी एक-एक संजीवनी एक्सप्रेस की जरूरत है।
तीन लाख किमी चल चुके हैं वाहन
जिले की कच्ची, पक्की सड़कों पर जिन्दगी देने के लिए दौडऩे वाली संजीवनी एक्सप्रेस की सभी 6 वाहन अब तक तीन- तीन लाख किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर चुकी है। बगैर किसी मेन्टनेंस के इतना लम्बा सफर तय करने के कारण वाहनों के गेट, ब्लिंकर लाइट, एसी सिस्टम और इंजन इत्यादि की हालत दयनीय हो गई है। इन सब की चिंता न तो स्वास्थ्य विभाग कर रहा है और न ही वाहन प्रदाय करने वाली एजेंसी कर रही है। परिणाम स्वरूप संजीवनी एक्सप्रेस पर बुढ़ापे का असर अब दिखने लगा है।
वाहनों के मेंटनेंस को लेकर उठ रहे सवाल
लगभग 5-6 वर्षों से संजीवनी एक्सप्रेस की वाहन क्रमांक सीजी 02 ए-3147 सूरजपुर में , सीजी 02 ए-3149 ओडग़ी में, सीजी 02 ए-3143 प्रेमनगर में, सीजी 02 ए-3136 प्रतापपुर में, सीजी 02 ए -5079 भैयाथान में एवं सीजी 02 ए-5097 रामानुजनगर क्षेत्र में मरीजों की सेवा के लिए पूरे दिन दौड़ रही है।
लेकिन इन वाहनों को बदलने या इनके मेंटनेंस को लेकर जीवीके कम्पनी गंभीर नहीं है। नियमानुसार इतनी पुरानी वाहनों को बदलकर नए वाहन दिए जाने चाहिए थे। बगैर मेंटनेंस वाहनों को दौड़ाकर आय अर्जित करने से ही सरोकार रखने वाली कम्पनी की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
दयनीय हालत के कारण समय पर नहीं पहुंच रही 108
जिले में मौजूद 6 संजीवनी एक्सप्रेस की हालत दयनीय होने के कारण अब मांग के अनुरूप 108 वाहन विलम्ब से लोगों तक पहुंच रही है। कभी वाहन में खराबी की शिकायत तो कभी ब्रेकडाउन की स्थिति की वजह से समय पर वाहन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। 108 वाहनों के हालत का आकंलन उसके दरवाजे और एसी सिस्टम को देखकर ही किया जा सकता है, किसी तरह खींचतान कर 108 की सेवा जिले में संचालित है।