कोरोना ग्रहण: सूरत के राखी व्यापार में 50 प्रतिशत की कमी
– रॉ-मटेरियल और मजदूरी के दाम बढऩे पर राखी 25 प्रतिशत होगी महंगी- लॉकडाउन के चलते चीन से 40 प्रतिशत से भी अधिक माल कम आने का भी व्यापार पर हुआ असर
कोरोना ग्रहण: सूरत के राखी व्यापार में 50 प्रतिशत की कमी
सूरत.
सूरत में बनने वाली राखी की देश-विदेश में मांग है। भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार को भी कोरोना का ग्रहण लग गया है। कोरोना के कारण सूरत को बाहर से मिलने वाले राखी के ऑर्डर में 50 प्रतिशत की कमी आ गई है। रॉ-मटेरियल और मजदूरी के दाम बढऩे से राखी की कीमत भी 25 प्रतिशत बढ़ गई है। लॉकडाउन के कारण चीन से भी 40 प्रतिशत ही माल आने पर राखी के व्यापार पर इसका बड़ा असर हुआ है।
भारत देश सभी त्योहार मनाने के लिए जाना जाता है। यहां सभी त्योहारों का काफी महत्व है। 22 अगस्त को भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन है। रक्षाबंधन पर सूरत की राखी देशभर में जाती है। टेक्सटाइल सिटी सूरत से दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र के साथ देश के कई राज्यों में राखी जाती है। विदेशों में भी सूरत की राखी की काफी मांग है। राखी के कारण शहर में कई गृह उद्योग चलते है। लेकिन कोरोना ने राखी के गृह उद्योग को तोड़ दिया है। ऊपर से पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के कारण रॉ-मटेरियल के दाम भी 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ गए हैं। कोरोना के दूसरी लहर के कारण लाखों मजदूर भी सूरत छोड़कर चले गए हैं। इसका भी गहरा असर राखी के व्यापार पर हुआ है। इस कारण मजदूरी के दाम भी 20 प्रतिशत बढ़ गए हैं। मजदूरी और रो-मटेरियल के दाम बढऩे के कारण राखी के दाम भी 25 प्रतिशत बढ़ गए हैं। इसका सीधा असर राखी के मिलने वाले ऑर्डर पर पड़ रहा है।
– आधे हो गए है ऑडर्र
व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल भी कोरोना के कारण राखी के व्यापार पर संकट छाया था। इस साल भी कोरोना के कारण ही राखी के व्यापार पर असर पड़ रहा है। दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर की चिंता के कारण व्यापारियों को लॉकडाउन का भय सता रहा है। इसलिए सभी ने 50 प्रतिशत ही ऑर्डर बुक कराया है। जो एक लाख का माल लेते थे, वह सीधा 50 हजार का ही माल ले रहे हैं। ऊपर से मजदूरी, रॉ-मटेरियल, पेट्रोल-डिझल का बढ़ता खर्च भी मुख्य ऑर्डर पर काफी असर कर रहा है।
– धीमी गति से चला प्रोडक्शन
व्यापारियों ने बताया कि चीन से साल भर रॉ-मटेरियल आता रहता है। कोरोना के कारण इस साल 40 प्रतिशत से कम रॉ-मटेरियल आया है। लॉकडाउन के कारण राखी बनाने वालों तक समय पर और पूरी मात्रा में रॉ-मटेरियल भी नहीं पहुंच पाया है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के व्यापारी जनवरी-फरवरी में ही राखी का ऑर्डर बुक करवा लेते हैं। गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के व्यापारी अप्रेल के बाद ऑर्डर बुक करवाते हैं। बाकी स्थानीय व्यापारी त्योहार के एक माह पहले बुकिंग करवाते हैं। इसलिए राखी बनाने का काम भी साल भर चलता रहता है। लेकिन कोरोना के कारण इस साल माल भी कम मिला है जिसके कारण प्रोडक्शन का काम धीमी गति से चला है। ऊपर से लॉकडाउन और दाम बढऩे के भय से ऑर्डर भी कम मिले हैं।
– गुजरात में राखी का 500 करोड़ का व्यापार:
राखी का पर्व गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। टेक्सटाइल सिटी सूरत में राखी का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। दक्षिण गुजरात में राखी का 100 करोड़ के आसपास व्यापार होता है। गुजरात में राखी का 500 करोड़ के आसपास व्यापार होता है। राखी के बढ़ते दाम को ध्यान में रख इस बार इस व्यापार पर असर होने वाला है।
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