मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) कॉरिडोर प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण को लेकर आ रही बाधाओं के बादल अब छंटने लगे हैं। पिछले दिनों सूरत जिले में ग्रामिणों ने बैठक करके उचित मुआवजा नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए बुलेट ट्रेन के लिए अपनी जमीन नहीं देने का निर्णय किया था, लेकिन नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए ग्रामिणों से बातचीत और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पीआरओ सुषमा गौर ने बताया कि एमएएचएसआर प्रोजेक्ट में सूरत जिले के 78 प्लॉटधारकों ने जमीन अधिग्रहण एग्रिमेंट पर हस्ताक्षर किए है।
उन्होंने बताया कि घलौडी गांव के 69 जमीन धारकों ने बुलेट ट्रेन परियोजना में जमीन देने पर सहमति जताई है। वहीं शेखपुर गांव के 5 और कुडसद गांव के 4 प्लॉट धारकों ने जमीन अधिग्रहण कागज पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण गुजरात में जमीन अधिग्रहण को लेकर आ रही दिक्कतों को कम करने के लिए प्रोजेक्ट से गुजरने वाले क्षेत्रों में कैम्प लगाकर ग्रामिणों के साथ बातचीत की जा रही हैं। सोमवार को घलौडी गांव में कैम्प लगाया गया था, जहां के सबसे अधिक ग्रामिणों ने अपनी जमीन बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए दी है।
सुषमा ने बताया कि अभी तक परियोजना के लिए 64 फीसद जमीन अधिग्रहित की गई है। गुजरात और दादर नगर हवेली में 82 प्रतिशत और महाराष्ट्र में करीब 23 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण की जा चुकी है। कुछ महत्वपूर्ण निर्माण संबंधी निविदाओं को अगले कुछ महीनों में खोला और अंतिम रूप दिया जाएगा। इससे मुंबई-अहमदाबाद एचएसआर परियोजना के निर्माण में विभिन्न श्रेणियों में 90,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।