सूरत

अजब-गजब: एक शहर ऐसा भी जहां साइकिल चलाना अपराध

डोमिनिक लापियर के सिटी ऑफ जॉय कोलकाता में साइकिल चलाने से डरते हैं लोग, कोलकाता से सूरत आए बाइसिकल मेयर ने साझा की तकलीफ, बताया 62 रास्तों पर बैन है साइकिलिंग, गलती से भी घुसने पर पुलिस काटती है चालान

सूरतJan 19, 2020 / 12:41 pm

विनीत शर्मा

PATRIKA

विनीत शर्मा
सूरत. संयुक्त राष्ट्र भले 2035 तक नॉन मोटर्ड व्हीकल को प्रमोट करने के लिए अभियान चलाए, लेकिन देश में एक शहर ऐसा भी है, जहां साइकिल चलाने पर चालान कट जाता है। यह उलटबांसी हो रही है देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता में।
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यह सुनने में वाकई अटपटा लग रहा होगा कि देश की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता में जलवायु परिवर्तन के खतरों को धता बताते हुए रास्ते पर साइकिल चलाना अपराध है। यह सच है और इसका खुलासा कोलकाता से साइकिल पर देश भ्रमण के लिए निकले कोलकाता के बाइसिकल मेयर सौरभ चटोपाध्याय ने। सौरभ यात्रा के ३३वें दिन सूरत पहुंचे। राजस्थान पत्रिका से बातचीत के दौरान उन्होंने कोलकाता में साइकिलिंग के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि जिस तरह सूरत में या देश के किसी भी शहर में लोग साइकिल लेकर कहीं भी चले जाते हैं, कोलकाता में यह आजादी नहीं है।
सौरभ के मुताबिक कोलकाता में 62 सड़कें ऐसी हैं, जहां साइकिलिंग करना गंभीर अपराध है। इन रास्तों पर घुसते ही पुलिस टीम घात लगाए बैठी रहती है और जरा सी चूक होने पर चालान काटते देर नहीं लगाती। ऐसे में लोगों को इन रास्तों से बचते हुए साइकिल से अपना सफर तय करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें घूमकर जाना पड़ता है और औसतन दो से तीन किमी अतिरिक्त चलना पड़ता है। सौरभ ने बताया कि पहले ऐसे रास्तों की संख्या सौ से ज्यादा थी, लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए बाद में इन्हें सीमित कर 62 कर दिया गया है।
भारत ने जताई है प्रतिबद्धता

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संयुक्त राष्ट्र के नॉन मोटर्ड व्हीकल को प्रमोट करने के अभियान के लिए भारत ने भी अपनी प्रतिबद्धता जताई है। यूनाइटेड नेशंस (यूएन) ने इसके लिए वर्ष 2035 तक का वक्त तय किया है। सूरत भी इस दिशा में काम कर रहा है और कोलकाता के बाइसिकल मेयर सौरभ भी इसी मिशन को लेकर देशभर में लोगों को जागरूक करने के लिए साइकिल पर निकले हैं।
यह है वजह

सौरभ ने बताया कि कोलकाता देश के हाइ डेंसिटी शहरों में से एक है। यहां आबादी का घनत्व ज्यादा होने के कारण सड़कों पर भी यातायात का दबाव ज्यादा है। संकरे रास्तों पर वाहनों की रेलमपेल का आलम यह है कि वाहनों को औसत 20 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ पाना भी मुश्किल होता है। प्रशासन का मानना है कि यदि साइकिल भी इन रास्तों पर चलीं तो यह रफ्तार घटकर 12 से 15 किमी प्रति घंटा ही रह जाएगी। यातायात सुचारू रखने के लिए इन रास्तों पर साइकिलिंग को बैन कर दिया गया है। सौरभ का मानना है कि यदि साइकिलिंग को प्रमोट किया जाए और लोग बड़े वाहनों को छोड़ दें तो साइकिल से दूरी तय करना ज्यादा सहज हो जाएगा।
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