गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा मार्च में होने वाली है। बोर्ड परीक्षा के फॉर्म में आधार कार्ड नंबर देना अनिवार्य है। प्रायोगिक परीक्षा में भी आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। परीक्षा खंड में पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड मांगा जाने लगा है।
बोर्ड ने विद्यार्थी की मार्कशीट के साथ आधार कार्ड लिंक करना शुरू किया है। जेईई और नीट को बोर्ड सीधी आधार लिंक सीडी भेज देता है, जिससे विद्यार्थी की पूरी जानकारी कम्प्यूटर पर नजर आ जाए। विश्वविद्यालयों में प्रवेश के दौरान भी यही लिंक काम में लिया जाता है। पिछले साल वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय की बीकॉम, बीबीए, बीसीए और बीएससी प्रवेश प्रक्रिया के दौरान बोर्ड से सीधी लिंक मंगवाया गया था।
स्कूल संचालकों ने परीक्षा से पहले विद्यार्थियों को आधार कार्ड अपडेट करने का निर्देश दिया है, क्योंकि परीक्षा के बाद मार्कशीट में नाम नहीं बदल पाएगा। 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी आधार अपडेट कराने के लिए भागदौड़ कर रहे है। आधार कार्ड का काम निजी संस्थाओं को सौंप दिया गया है। कुछ स्कूलों ने इन संस्थाओं को आधार अपडेट करने के लिए बुलाया, लेकिन सरवर डाउन होने के कारण नाम में बदलाव नहीं हो पा रहा है। इसलिए सभी को नागरिक सुविधा केन्द्र पर अपडेट कराने के लिए कहा गया है।
सुविधा केन्द्र में भी सुविधा नहीं
10वीं और 12वीं के कई विद्यार्थी अभिभावकों के साथ नागरिक सुविधा केन्द्र में आधार कार्ड अपडेट करवाने पहुंचे, लेकिन वहां भी आधार अपडेट करने का काम नहीं हो रहा है। सूरत महानगर पालिका की विभिन्न जोन ऑफिस में आधार कार्ड बनाने का कार्य चल रहा है। यहां कई अभिभावक विद्यार्थियों के आधार कार्ड बनवाने पहुंचे। यहां भी सरवर डाउन होने के कारण आधार कार्ड अपडेट नहीं हो पाया।
एसबीआई की परीक्षा में कर दिया था बाहर
दिक्कत यह है कि आधार कार्ड और बोर्ड मार्कशीट में जरा-सा भी अंतर हो तो विद्यार्थियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। विद्यार्थी की पहचान को ही गलत मान लिया जाता है। उसे प्रवेश प्रक्रिया या प्रवेश परीक्षा से बाहर कर दिया जाता है। पिछले साल ऐसा ही मामला सूरत के उन में हुआ था। उन में एसबीआई की ओर से प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था। दक्षिण गुजरात के हजारों विद्यार्थी परीक्षा देने आए थे। कई विद्यार्थियों के आधार कार्ड, मार्कशीट और प्रवेश कार्ड के नाम में अंतर था। इसलिए इन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया। इस मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ, लेकिन बैंक प्रशासन ने विद्यार्थियों की एक नहीं सुनी। विद्यार्थी परीक्षा दिए बिना घर लौट गए थे।