इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के तहत 46 लाख रुपए की सहायता का वितरण किया। कार्यक्रम में खेलकूद, शिक्षा और पशुपालन क्षेत्र के प्रतिभाशाली आदिवासियों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के मसीहा बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की और सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए वेगड़ा भील की वीरता, महिसागर के मानगढ़ में गुरुगोविंद के नेतृत्व में 1600 आदिवासियों की शहादत, विजयनगर के शहीद, तात्या भील, रूपा नायक के बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में विकास की परंपरा को आगे बढ़ते हुए सरकार ने अब तक 196 जंगल गांवों को रेवन्यू गांव घोषित किया है। गुजरात का आदिवासी चुनौती को पार कर वैश्विक स्तर पर आगे बढऩे को तैयार है। कार्यक्रम में आदिवासी कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने मन मोह लिया।
कार्यक्रम में वन एवं आदिजाति मंत्री गणपत वसावा ने कहा कि गुजरात के इतिहास में पहली बार अंबाजी से उमरगाम तक की पूर्वीय पट्टी के 90 लाख आदिवासियों के उत्सव में किसी मुख्यमंत्री ने भागीदारी की है। हजारों सालों से प्रकृति के पूजकों की संस्कृति, उत्सव और जीवन शैली दूसरों से अलग है। उन्होंने आदिवासियों की कुलदेवी देवमोगरा के मंदिर परिसर का 15 करोड़ रुपए की लागत से विकास करने की घोषणा की। कार्यक्रम में सांसद प्रभु वसावा ने आदिवासियों के इतिहास के बारे में जानकारी दी।