वीएनएसजीयू में शैक्षणिक सत्र 2013-14 में 120 सीटों के साथ
गीजू छगन पटेल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्चर विभाग की शुरुआत की गई थी। सूरत में रियल स्टेट के बढ़ते व्यवसाय को देखते हुए गुजरात में सबसे अधिक सीटों के साथ वीएनएसजीयू में आर्किटेक्चर विभाग शुरू किया गया। जब से आर्किटेक्चर विभाग शुरू हुआ उसके बाद उसकी सीट लगातार तीन साल तक कटती ही रही। काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (सीओए ) द्वारा 2014-15 में 40 सीटें कम कर देने से 80 सीटों पर प्रवेश दिया गया। शैक्षणिक सत्र 2015-16 में 40 और सीटें काट ली गईं। उस साल 40 सीटों पर प्रवेश दिया गया था। शैक्षणिक सत्र 2016-17 में सीओए ने 10 और सीटें कम कर दीं। सीटें काटने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस भेजा गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने नोटिस को अनदेखा कर दिया। नतीजा यह रहा कि सीओए ने 10 सीटें और काट लीं। शैक्षणिक सत्र 2017-18 में 30 सीटों पर प्रवेश दिया गया। सीटें कट जाने पर हंगामा हुुआ तो प्रशासन ने आने वाले साल में सीटें वापस हासिल करने का आश्वासन देकर मामला शांत किया था। साथ ही, सीएओ की सभी शर्तें पूर्ण करने का वादा भी किया था, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हो पाया। कड़े प्रयासों के बाद इस साल काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर ने वीएनएसजीयू को 80 सीटों पर प्रवेश देने की अनुमति दी गई है। फिर भी यहां मॉक राउंड में 52 सीटें रिक्त नजर आ रही है। जो अभी सभी जगह चर्चा का विषय बन गया है।
रोजगार बनता जा रहा है परेशानी का कारण:
आर्किटेक्चर करने के बाद सूरत और आसपास रोजगार मुश्किल से मिल रहा है। विद्यार्थी 10 हजार में काम करने को मजबूर हो रहे है। खुद का ऑफिस शुरू करना और नया काम मिलना शुरू में काफी कठिन है। इसके सामने आर्किटेक्चर की डिग्री पाने में लाखो की फीस हो जाती है। इसका प्रभाव प्रवेश पर हो रहा है। इसलिए आर्किटेक्चर की सीट रिक्त हो रही है। इस क्षेत्र में फिलहाल डाउन फॉल चल रहा है। आने वाले समय में वापस बूम आने पर फिर से विद्यार्थियों की रुचि इस कोर्स के प्रति बढ़ेगी।
– वीरेन महीडा, सिंडीकेट सदस्य, वीएनएसजीयू