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सूरत

ग्रहों की वक्री दशा के बाद अब ग्रहण का साया

महज एक माह के अंतराल में दो चंद्रग्रहण व एक सूर्यग्रहण, प्रकृति और जीव के लिए ऐसी खगोलीय घटना ठीक नहीं

सूरतMay 29, 2020 / 10:01 pm

Dinesh Bhardwaj

ग्रहों की वक्री दशा के बाद अब ग्रहण का साया

ग्रहों की वक्री दशा के बाद अब ग्रहण का साया

सूरत. कोरोना काल में अभी एक साथ आठ-आठ ग्रहों की वक्री अवस्था की खगोलीय घटना के बाद अब तीन-तीन ग्रहण का योग भी महज एक माह में बनने की तैयारी है। ज्योतिष मत में ग्रहों की वक्री दशा व ग्रहण की ऐसी खगोलीय स्थिति को प्रकृति व जीव के लिए उचित नहीं मानते है।
मई माह की शुरुआत के साथ ही राहू और केतू ग्रह स्वराशि में वक्री अवस्था में भ्रमण शुरू कर दिए थे और उसके बाद क्रमवार शनि, शुक्र और गुरु ग्रह विभिन्न राशियों में वक्री होकर भ्रमण करने लगे थे। इतना ही बुध, नेपच्यून व प्लूटो भी मई के अंतिम सप्ताह तक वक्री होकर भ्रमण करने लगे और ज्योतिष मत में यह अष्टवकृत्व योग बना। ऐसे योग में देह जलाने वाली भीषण गर्मी, आंधी-तुफान, युद्ध के आसार बनते हैं। कोरोना काल में वायरस संक्रमण का भय पहले ही दुनियाभर को सता रहा है, उस पर अब तीन-तीन ग्रहण का योग महज एक माह में बनने की तैयारी है। इसमें पहली चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के मौके पर बनेगी और इसके बाद विश्व के सबसे बड़े दिन 21 जून आषाढ़ अमावस्या को सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना का योग बनेगा और इसके बाद 15 दिन बीतते ही एक बार फिर 5 जुलाई को चंद्रग्रहण होगा।

बनेगा चुड़ामणि ग्रहण योग


इस अभूतपूर्व खगोलीय घटना के संदर्भ में ज्योतिषी डॉ. हरीश जोशी बताते हैं कि रविवार को सूर्यग्रहण होने से 21 जून को चुड़ामणि ग्रहण योग बनेगा और यह ग्रहणकाल 5 घंटे 48 मिनट 3 सैकंड का रहेगा। ईस्वी सन की शुरुआत से 3 हजार 137 वर्ष पहले ऐसे ही योग में ऐतिहासिक महाभारत युद्ध हुआ था। सूर्यग्रहण से उत्पन्न गर्मी, ऊर्जा से कोरोना वायरस का नाश भी संभव है, लेकिन उसमें सितम्बर तक का वक्त बीतने की उम्मीद है।

धुंधला रहेगा चंद्रमा


उपच्छायी चंद्रग्रहण होने से 5 जून शुक्रवार को धुंधले चंद्रमा के साथ माध्य उपच्छायी चंद्रग्रहण दिखाी देगा, लेकिन यह ग्रहण भी 21 जून के सूर्यग्रहण के समान ही दो तिथियों के बीच रहेगा। ज्योतिषी घनश्याम भारद्वाज बताते हैं कि उपच्छाया उपच्छाया चंद्रग्रहण उस समय लगता है, जब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे चंद्रमा ‘पेनुम्ब्रा’ (धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। हालांकि यह ग्रहण आसमान में साफ तौर पर नहीं दिखेगा।

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