घरों में भूमिगत टैंक
दादरा नगर हवेली में मानसून में अच्छी बारिश के बावजूद गर्मी में पानी की किल्लत आम बात है। खानवेल, रूदाना, मांदोनी, सिंदोनी, कौंचा, दुधनी, आंबोली, खेरड़ी, सुरंगी, दपाड़ा में मार्च से जून तक पानी के लिए हायतौबा मच जाती है। इन गांवों में जल संचयन की योजनाएं नहीं हैं एवं जो योजनाएं चल रही हैं वे कारगर नहीं हैं। पर्वतीय गांवों में पक्केतालाब, घरों में भूगर्त टैंक, तराई वाले जगहों पर चैकडेम बनाकर पेयजल समस्या हल हो सकती हैं। शहरी विस्तारों में छत से प्राप्त वर्षा जल को पुनर्भरण कुएं, नलकूप, बोरवेल में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में परलोकेशन टैंक, चेकडेम, डगवेल, सतही जलबांध में संचयन किया जा सकता है।
पौराणिक तालाब
नरोली में पौराणिक तालाब के निर्माण से पेयजल व सिंचाई की जरूरत पूरी हो सकती है। ग्राम पंचायत के सरपंच प्रीति दोडिय़ा ने बताया कि नरोली गांव में करीब 200 वर्ष पुराना पौराणिक तालाब समाप्त होने से पानी की समस्या बढ़ी है। यह तालाब नरोली के मध्य 35 एकड़ जमीन पर था। प्रबंधन के अभाव में आसपास के लोगों ने तालाब पर कब्जा करके इमारतें खड़ी कर दी। यह तालाब बनने से नरोली व खरड़पाड़ा विस्तार मेंं पेयजल और सिंचाई की कमी नहीं रहेगी।
बेरोकटोक खोद जा रहे बोरवेल
मानसून में अच्छी बारिश व जलाशयों के बावजूद भूजल में गिरावट आ रही है। हालात की गंभीरता से लेकर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने मार्च में बिना परमिशन के बोरवेल व नलकूप पर रोक लगा दी थी। आदेश के बाद पेयजल स्कीम के अलावा किसी भी तरह के नए ट्यूबवेल की खुदाई पर प्रतिबंधित है। यह आदेश भूजल की स्थिति सुधारण के लिए जारी हुए थे, लेकिन बावजूद ये आदेश कागजी ही साबित हो रहे हैं।