बाद के कार्यक्रम सिटीलाइट के राणी सती मंदिर में होंगे। आठ सितम्बर को शाम छह बजे मुकेश दाधीच भजनों की प्रस्तुति देंगे। नौ सितम्बर को सुबह पांच बजे धोक-जात और शाम पांच बजे ज्योत भजन होगा। आयोजकों ने बताया कि ट्रस्टी समेत सभी दादी भक्त कार्यक्रम की तैयारी में जुटे हुए हैं। महोत्सव के दौरान सिटीलाइट के राणी सती मंदिर एवं सरसाणा प्लेटिनम हॉल को श्रृंगारित कर रोशनी की जाएगी।
जन्माष्टमी तीन को
समिति द्वारा तीन सितम्बर को कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में राणी सती मंदिर में रात्रि आठ बजे से बारह बजे तक भजन-कीर्तन होगा। बाद में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। प्रीति देसाई को पीएचडी
समिति द्वारा तीन सितम्बर को कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में राणी सती मंदिर में रात्रि आठ बजे से बारह बजे तक भजन-कीर्तन होगा। बाद में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। प्रीति देसाई को पीएचडी
सूरत. वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय ने एमएचआरडी विभाग की छात्रा प्रीति को पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। प्रीति ने डॉ. डी.जी. ठाकोर के मार्गदर्शन में स्टडी ऑन जॉब सेटिश्फेक्शन एमोंग टीचर्स ऑफ नगर प्राथमिक शिक्षा समिति स्कूल मैनेज बाय सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन विषय पर शोधग्रंथ प्रस्तुत किया था।
धर्म के लिए बुढ़ापे का इंतजार मत करो
सूरत. कुछ लोग धर्म करने के लिए समय का इंतजार करते हैं। धर्म आज नहीं, कल कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं। कुछ लोग धर्म बुढ़ापे में कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं, यह ठीक नहीं हैं। यह उद्गार बुधवार को साध्वी ललित प्रभा ने उधना के तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा अक्षम होता है। बुढ़ापे में शरीर शिथिल हो जाता है। सुनने की शक्ति कम हो जाती है। देखने की क्षमता कम हो जाती है। विभिन्न प्रकार के रोग शरीर को घेर लेते हैं। ऐसे में न किसी काम में मन लगता है, न धर्म करने में मन लगता है। इसलिए बुढ़ापे का इंतजार मत करो। आंखों की दृश्य शक्ति एवं कानों की श्रव्य शक्ति कम हो जाए, उससे पहले ही धर्म कर लो।
सूरत. कुछ लोग धर्म करने के लिए समय का इंतजार करते हैं। धर्म आज नहीं, कल कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं। कुछ लोग धर्म बुढ़ापे में कर लेंगे, ऐसा सोचते हैं, यह ठीक नहीं हैं। यह उद्गार बुधवार को साध्वी ललित प्रभा ने उधना के तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा अक्षम होता है। बुढ़ापे में शरीर शिथिल हो जाता है। सुनने की शक्ति कम हो जाती है। देखने की क्षमता कम हो जाती है। विभिन्न प्रकार के रोग शरीर को घेर लेते हैं। ऐसे में न किसी काम में मन लगता है, न धर्म करने में मन लगता है। इसलिए बुढ़ापे का इंतजार मत करो। आंखों की दृश्य शक्ति एवं कानों की श्रव्य शक्ति कम हो जाए, उससे पहले ही धर्म कर लो।