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सूरत

दलाल ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं सीनियर सिटीजन कोटे की बर्थ

– रेल रिज़र्वेशनमें खेल : यात्री हैरान, विजिलेंस फेल…
– उत्तरप्रदेश-बिहार से गुजरात आने वाली ट्रेनों में जगह नहीं मिलने से प्रवासियों की मुश्किल बढ़ी
– ट्रेनों में जांच और जुर्माना वसूलने के नियम में बदलाव से टिकट चेकिंग स्टाफ में असमंजस की स्थिति

सूरतJun 24, 2021 / 09:52 pm

Sanjeev Kumar Singh

दलाल ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं सीनियर सिटीजन कोटे की बर्थ

दलाल ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं सीनियर सिटीजन कोटे की बर्थ

संजीव सिंह @ सूरत.

कोरोना महामारी में डेढ़ साल से नियमित ट्रेनों के बंद होने के कारण लंबी दूरी के यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलने में काफी दिक्कत हो रही है। वहीं, अनाधिकृत दलाल सीनियर सिटीजन कोटे की सीटें ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं। मुम्बई विजिलंस विभाग की ओर से इक्का-दुक्का ट्रेनों में जांच की जाती है, लेकिन उत्तरप्रदेश और बिहार से आने वाली ज्यादातर ट्रेनों में यही खेल चल रहा है। दूसरी तरफ मुम्बई मंडल के ट्रेनों में टिकट चेकिंग स्क्वॉयड बंद होने से रेलवे को प्रतिदिन लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
पश्चिम रेलवे कोरोना दूसरी लहर में मरीजों की संख्या घटने के बाद बंद की गई स्पेशल ट्रेनों को फिर बहाल कर रही है। लेकिन नियमित ट्रेनों के मुकाबले स्पेशल ट्रेनों की संख्या बहुत कम होने के कारण लम्बी दूरी की यात्रा करने वाले ज्यादातर यात्रियों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है। दूसरी लहर में भी संक्रमित बढऩे पर बड़ी संख्या में प्रवासी गांव चले गए थे। जून से स्कूल में ऑनलाइन पढ़ाई और रोजगार-धंधे फिर से चालू होने के चलते अब प्रवासी लौट रहे हैं, उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिलने के चलते वे अनाधिकृत दलालों का सम्पर्क कर रहे हैं। दलाल भी यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर सीनियर सिटीजन कोटे की सीट आम यात्रियों के नाम से बुक कर ऊंची रकम वसूल रहे हैं।
शातिर दलाल यात्रियों को हिंदी में सीनियर सिटीजन के नाम से उसके कोटे से निकाले गए टिकट को यात्री को सौंपने से पहले प्रिंट में छेड़छाड़ कर यात्री की वास्तविक उम्र लिखकर देते हैं। जो कि सीनियर सिटीजन की उम्र से कम होती है। ट्रेन में जांच के दौरान टीटीई चार्ट में सीनियर सिटीजन कोटे की सीट पर आम यात्रियों को सफर करते देखकर उनसे जुर्माना वसूलता है। तब यात्री को पता चलता है कि उसके साथ धोखाधड़ी कर कंफर्म टिकट के नाम पर अतिरिक्त रुपया वसूला गया है। टीटी को भी अलग देना पढ़ते हैं जुर्माने के रुपए।
दलाल ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं सीनियर सिटीजन कोटे की बर्थ
नहीं पकड़े गए तो सफर पूरा भी हो जाता है

टीटी या विजिलेंस विभाग चेकिंग की कार्रवाई करते तो हैं, लेकिन इक्का-दुक्का ट्रेनों में। जबकि ज्यादातर यात्री बिना टिकट या गलत टिकट पर उत्तरप्रदेश और बिहार से सूरत तक का सफर कर रहे हैं। हाल में विजिलंस विभाग ने बरौनी-अहमदाबाद स्पेशल ट्रेन में कुछ यात्रियों को सीनियर सिटीजन कोटे की सीट पर आम यात्री को सफर करते हुए पकड़ा है। वहीं, दूसरी ट्रेनों में जांच नहीं होने के कारण प्रतिदिन रेलवे को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
ट्रेनों की कमी के चलते हैं 10 सीटें भी नहीं होती कंफर्म

उत्तरप्रदेश और बिहार से सूरत आने वाली ट्रेनों में एक से 10 नम्बर की वेटिंग टिकट भी कन्फर्म नहीं होती है। इसके चलते मजबूरी में यात्री बिना टिकट ही ट्रेन में जो होगा देख लेंगे, ऐसा सोचकर सफर कर रहे है। गौरतलब है कि अब नियमित ट्रेनों को शुरू करने की मांग उठ रही है। सूरत के जन प्रतिनिधियों ने हाल में ही यूपी-बिहार से सूरत के बीच चलने वाली ट्रेनों को फिर से बहाल करने की मांग की है।
10-15 दिन के अंतराल में बुक होती सीटें

उत्तरप्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों में भीड़ नहीं के बराबर है, लेकिन उधर से सूरत आने वाली ट्रेनें हाउसफुल होकर सूरत आ रही है। सूरत के अलग-अलग क्षेत्रों से अनाधिकृत दलाल ऑनलाइन टिकट बनाकर उत्तरप्रदेश- बिहार भेजते है। सूत्रों ने बताया कि अनाधिकृत दलाल ट्रेन रवाना होने के कुछ दिन पहले सीनियर सिटीजन कोटे की सभी सीटें अलग-अलग नाम से बुक कर लेते हैं। लेकिन जब ओरिजनल सीनियर सिटीजन कोटे में सफर के लिए बुकिंग स्टेटस चेक करता है तो उसे वेटिंग टिकट ही दिखता है। कोरोना काल में दलालों ने कमाई करने का यह नया तरीका खोज निकाला है।
इन ट्रेनों में सबसे अधिक धांधली

सूत्रों के मुताबिक, बरौनी-अहमदाबाद स्पेशल, भागलपुर-मुम्बई सेंट्रल स्पेशल, समस्तीपुर-बान्द्रा टर्मिनस स्पेशल, छपरा-सूरत ताप्ती गंगा स्पेशल, भागलपुर-सूरत स्पेशल, दानापुर-उधना स्पेशल, गोरखपुर-बान्द्रा अवध स्पेशल, मंडुआडीह-उधना स्पेशल आदि ट्रेनें मुख्य है। इन ट्रेनों में आम यात्रियों को सीनियर सिटीजन कोटे की बर्थ पर सफर करते हुए देखा जाता है। लेकिन जांच के लिए विजिलंस विभाग को सिर्फ बरौनी-अहमदाबाद स्पेशल ही दिखती है।
चेकिंग स्क्वॉड पर रोक से लाखों का नुकसान

पश्चिम रेलवे ने अप्रेल में कोरोना की दूसरी लहर के चलते ट्रेनों में चलने वाली टिकट चेकिंग स्क्वॉयड की जांच बंद करवा दी है, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमित मरीजों की संख्या घट रही है, अब रेलवे पटरी पर लौटने लगी है। बंद की गई ट्रेनें फिर से शुरू हो रही है। लेकिन मुम्बई रेल मंडल के टिकट चेकिंग स्क्वॉयड को अब भी ट्रेनों में जांच पर रोक लगी हुई है। दूसरी तरफ पश्चिम रेलवे में ही वडोदरा और अहमदाबाद मंडल के टिकट चेकिंग स्क्वॉयड भुसावल तक ट्रेनों में चेकिंग करके जुर्माना वसूल रहे है।
ट्रेनों में बिना टिकट या गलत टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों से जुर्माना वसूलने के नियम में भी बदलाव किया गया है। रेलवे ने टीटीई को ट्रेन में पकड़े गए यात्री से अगले स्टेशन तक ही जुर्माना वसूलने और यात्री को अगले स्टेशन पर उतारने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इसकी पालना नहीं होती है। कोई भी टीटीई ट्रेन से यात्री को उतारता नहीं है। रोजाना पकड़े जाने वाले यात्री को कम जुर्माना वसूल कर टीटीई भी खानापूर्ति कर रहे हैं।

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