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सूरत

गुजरात में कचरे का केमिकल लोचा, दस लाख एकड़ कृषि भूमि हो गई बंजर

– फैक्ट्रियों से केमिकल के अवैध निस्तारण से मिट्टी व जल स्त्रोत हो रहे जहरीले, विकृत हो रही पैदावार
– अंकलेश्वर, दहेज, वापी, अहमदाबाद में पानी व हवा में प्रदूषण खतरनाक की स्तर की ओर

सूरतJan 19, 2022 / 07:30 pm

pradeep joshi

गुजरात में कचरे का केमिकल लोचा, दस लाख एकड़ कृषि भूमि हो गई बंजर

गुजरात में कचरे का केमिकल लोचा, दस लाख एकड़ कृषि भूमि हो गई बंजर

प्रदीप जोशी @ सूरत.

नदी, नाले, खेत, उद्योग ये सब विकास के द्योतक हैं। इनमें यदि एक में भी केमिकल लोचा हो जाए तो सेहत और समृद्धि दोनों खतरे में होती है। गुजरात में अब पर्यावरण में जहर घोलने वालों पर गुजसीटोक कानून लागू करने की मांग उठने लगी है। यानी हालत इस कदर हो रहे हैं। मंगलवार को ही सूरत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पहली सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार व जीपीसीबी को कटघरे में खड़ा किया गया। हाल ही में सूरत के सचिन जीआईडीसी में जहरीले केमिकल वेस्ट के नदी व खेतों में अवैध निस्तारण से 6 श्रमिकों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। वर्षों से प्रतिदिन केमिकल माफियाओं की गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीपी), पुलिस व कुछ उद्योपतियों की मिलीभगत से खेल चल रहा है। अब तक दस लाख एकड़ से भी कहीं ज्यादा कृषि भूमि बंजर हो चुकी है।
अंकलेश्वर-दहेज में पेड़-पौधे हो रहे विकृत
वड़ोदरा, भरुच-अंकलेश्वर व दहेज स्थित कंपनियों द्वारा 2-4डी एवं 4 डी-बी जैसे जहरीले रासायनिक तत्वों के छोड़़ने से इस इलाके में करीब 50,000 किसानों की पांच लाख एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि बर्बाद हो गई है। फसलों के साथ पेड़-पौधे, वृक्ष, तिलहन फसल नष्ट हो गई। कुछ समय पूर्व भरुच कलेक्टर की ओर से बनाई गई विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट मेें भी कहा गया कि फिनोक्षी रसायन से दस साल से फसलों व कृषि जमीन को भारी नुकसान हुआ है, पेड़-पौैधे विकृत हो गए हैं। वहीं, सूरत के सचिन पांडेसरा व वापी-वलसाड़, सिलवासा जैसे इलाकों के जल स्त्रोत पीले पड़ कर जहरीले झाग उगल रहे हैं। 2-4डी जैसे रसायन मानव व पशु के रक्त में प्रवेश कर नई पीढ़ी तक पहुंचता है।
क्रिटिकल जोन का लेबल हटाकर दी छूट

विकास की अंधी दौड़ में दयनीय किसानों व आम लोगों के स्वास्थ्य की चिंता किए बिना सरकार पर केवल उद्योगों का हित साधने के आरोप लग रहे हैं। अंकलेश्वर व वापी जैसे इलाकों को क्रिटिकल पोल्यूशन जोन से निकालकर यहां जहर फैलाने वाली कंपनियों को मनमानी छूट दी जा रही है। गुजरात कांग्रेस नेता अर्जुन मोढ़वडिया ने किसानों को प्रति एकड़ चालीस हजार रुपए मुआवजे की दर से 50 हजार किसानों को दो हजार करोड़ के मुआवजे की मांग भी की थी।
एनजीटी 2018 में भी लगाई थी लताड़

एनजीटी ने दिसंबर 2018 में देश के 100 औद्योगिक समूहों के लिए पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) स्कोर का संज्ञान लिया था। तब गुजरात में बढ़ते प्रदूषण पर एनजीटी की मुख्य पीठ ने सख्ती से गुजरात सरकार से 10 प्रदूषित औद्योगिक समूहों को तीन महीने के भीतर सुरक्षा मापदंडों के भीतर लाने के आदेश दिए थे। एनजीटी ने जीपीसीबी को प्रदूषण नियमों का पालन नहीं करने वाली इकाइयों की पहचान कर उन्हें बंद करने के अधिकार का प्रयोग करने का भी निर्देश दिया था। तब भी अहमदाबाद, वडोदरा, अंकलेश्वर, वापी जैसे औद्योगिक इलाकों में पानी और हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषण मिला।

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