कोरोना की चपेट में आ चुके
राजेंद्र गौतम फरवरी 2011 में असाध्य रोग केंसर को मात देकर चिकित्सा क्षेत्र में जरूरतमंद मरीजों के बीच शहर में लगातार सेवा दे रहे हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही न्यू सिविल अस्पताल में इनकी सक्रियता बनी हुई है और इसी सक्रियता के चलते खुद भी कोरोना ग्रस्त हो गए और 23 जुलाई को कोविड-19 होस्पीटल में एडमिट होकर 26 जुलाई को दृढ़ मनोबल से दुरुस्त होकर वापस सेवा में जुट गए। गौतम बताते हैं कि मन की मजबूती और दूसरों के प्रति सेवाभाव उन्हें ऐसा बनने में हर बार तैयार करता है।
बेटा-बेटी ही नहीं जंवाई भी जुटे
फ्रंट कोरोना वॉरियर्स प्रवासी राजस्थानी परिवार के मुखिया राजेंद्र गौतम के अलावा उनकी बेटी मोनिका अपने ढाई साल के बेटे व सात वर्षीय बेटी को रोजाना नानी-मामी के पास छोडक़र कोविड-19 होस्पीटल पहुंचती है। मोनिका के अलावा उसके भाई अरुण गौतम, जयेश गौतम, पूजा तिवारी व उसके पति नारायण तिवारी कोविड-19 होस्पीटल के बाहर बनी सेवा फाउंडेशन की हेल्प डेस्क पर तैनात रहते हैं। मोनिका बताती हैं कि पापा के सेवाभाव को देख डर तो नजदीक भी नहीं आता और उन्हीं की प्रेरणा से वे सब सेवा में तत्पर है।
रोज छूते हैं 250-300 कोविड पेशेंट
कोरोना महामारी से संक्रमित मरीजों के पास जाने के लिए सभी को वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की कोविड-19 की गाइडलाइन का कड़ा पालन करना पड़ता है। ऐसी विकट स्थिति में यह फ्रंट कोरोना वॉरियर्स प्रवासी राजस्थानी परिवार रोजाना सूरत के दोनों कोविड-19 होस्पीटल में ढाई सौ से तीन सौ मरीजों के पास पहुंचता है। डॉ. पराग शाह, डॉ. पीयुष शाह, डॉ. चेतन चौकसी आदि की देखरेख में तैयार यह वॉलिएंटर्स ज्यादातर बीमारी से घबराए मरीजों का मनोबल बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग भी करते हैं।
यूं रहती है इनकी सेवा गतिविधि
-कोविड-19 होस्पीटल में उपचाराधीन मरीजों को भोजन, पानी, आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराना।
-मेडिकल स्टाफ के अभाव में रोगी को दवा वगैरह देना और उनके कपड़े बदलवाना।
-मरीजों का बीमारी से ध्यान हटाकर मनोबल बढ़ाने के लिए मनोरंजन के खेल व अन्य आयोजन करना।
-मरीजों के परिजनों से वीडिय़ोकॉल पर बात करवाना और उनके साथ त्योहार भी मनाना।
-होस्पीटल के बाहर परिजनों को उनके परिचित मरीजों की जानकारी देना।