कोरोना की दूसरी लहर में गांवों से बड़ी संंख्या में लोग संक्रमित हुए। अधिकारियों का कहना है कि यहां वैक्सीन डोज लगाने से पहले व्यक्ति की कोविड-19 की जांच होती है। गांवों में कई लोग टीकाकरण में कम रूचि दिखा रहे हैं। टीकाकरण के विभिन्न प्रचार साधनों के बाद अब उद्यमियों ने अपने मजदूरों को वैक्सीन लगवाने के लिए पे्ररित करना शुरू कर दिया है।
दरअसल, मजदूरों के डिजीटल फ्रेंडली नहीं होने की वजह से टीकाकरण केन्द्र पर ही आधार कार्ड देखकर रजिस्टे्रशन करके वैक्सीन डोज दी जा रही है। उद्यमियों का कहना है कि कंपनी में काम करने वाले को कामकाजी समय में भी टीका के लिए केन्द्रों पर जाने की छूट दी गई है। कुछ मजूदरों में वैक्सीन डोज लेने के लिए भय छुपा है, जिसे हटाने के लिए समझाइश की जाती है। मोबाइल फ्रेंडली नहीं होने की वजह से उनका रजिस्ट्रेशन भी किया जा रहा है, ताकि वैक्सीन आसानी से लग सके। दानह में 3 हजार से अधिक उद्योग चल रहे हैं, जिसमें करीब दो लाख मजदूर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार में लगे हैं।
गांव-गांव में वैक्सीनेशन
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के अलावा करीब तीन गांवों में टीकाकरण शिविर चल रहे हैं। शहर के 6 केन्द्रों को छोड़कर रांधा में 4, किलवणी में 5, दादरा में एक, नरोली में 5, मसाट में दो, रखोली में दो, दपाड़ा में 4, आंबोली में 6, रूदाना में 4, खानवेल में उपजिला अस्पताल, मोदोनी में 5, दुधनी में तीन स्वास्थ्य केन्द्रों पर वैक्सीनेशन चल रहा है। यहां वैक्सीन की कमी नहीं है, फिर भी गांवों में टीकाकरण के प्रति युवाओं का उत्साह कम है।