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सूरत

संदिग्ध हालत में मृत मिली पांच गौमाताएं

बड़ा सवाल: जहर दिया गया या कोई और कारणबीते तीन माह में 139 मवेशियों की हुई मृत्यु

सूरतSep 01, 2018 / 11:11 pm

Sunil Mishra

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संदिग्ध हालत में मृत मिली पांच गौमाताएं


नवसारी. गणदेवी तहसील के वलोटी गांव समीप ब्रह्मदेव मंदिर के पास पांच गायों की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। बीते तीन माह में गणदेवी तहसील में कुल 139 गायों की मौत की घटनाएं सामने आई हंै।
नवसारी जिले में आवारा पशुओं की समस्या आम है। गणदेवी तहसील के मुख्य मार्गों पर बड़ी संख्या में पशु बैठे रहते हैं। रात में बड़े वाहनों की टक्कर से इन मवेशियों को जान भी गंवानी पड़ती है। गुरुवार सुबह वलोटी गांव के ब्रह्मदेव समीप से पांच गायें संदिग्ध अवस्था में मृत पाई गई। इससे पूर्व 6 अगस्त को 6 गायें, ९ अगस्त को 8 और 30 जुलाई को 5 गायों की मौत की घटनाएं सामने आई थी। इसमें गायों के नाक व मुंह से झाग निकलना और पेट फूले पाए गए थे, जिससे उनके खाने में कोई जहरीली चीज आई हो, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। वलोटी गांव के सरपंच जीतेश पटेल ने कहा कि बीते तीन माह में उन्होंने 40 गायों का अंतिम संस्कार किया है। वहीं, समीप के देवसर गांव के सरपंच रमीला पटेल ने 18 गायों, धकवाड़ा सरपंच सुशीला पटेल ने 25 गायों, आंतलिया के सरपंच ललिता पटेल ने 14 गायों, तलोध के सरपंच गुलाब पटेल ने 3 गायों और गोयंदी के सरपंच रश्मि पटेल ने 7 गायों का अंतिम संस्कार करवाया। जबकि भवानी गु्रप ने गणदेवी में 32 गायों का अंतिम संस्कार किया। तहसील की 6 ग्राम पंचायतों व सेवाभावी संस्थाओं को मिलाकर बीते तीन महीनों में 139 गायों का अंतिम संस्कार किया गया है।
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हर वर्ष वलोटी गांव में गायों की संदिग्ध मौत
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष वलोटी गांव में गायों के संदिग्ध मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसमें गत 21 जनवरी 2015 को तीन गायें, 19 अगस्त 2016 को 6 गायों की जहरीला पदार्थ खाने से मौत होने की बात सामने आई थी।
गुरुवार शाम गणदेवी के पशु चिक्तिसक डॉ. एमपी भीमाणी, नवसारी के डॉ. विरल आहिर व डॉ. चाचपरा ने मौके पर पुहंच कर पांचों गायों का पोस्टमार्टम किया। वलोटी गांव के सरपंच जीतेश पटेल की शिकायत पर बीलीमोरा पुलिस उपनिरीक्षक जीएस पटेल ने जांच शुरू की है। वलोटी-करंजदेवी मार्ग पर नहर के पास मृत गायों का अंतिम संस्कार किया गया।

पांजरापोल का अभाव
गणदेवी तहसील में 272.40 हैक्टेयर गौ चरण की जमीन होने के बावजूद सरकारी पांजरापोल का अभाव है। इसके कारण बड़ी संख्या में आवारा मवेशी रास्तों पर ही अपना आशियाना बना लेते हैं। जो रास्तों के किनारे आए किसानों के खेतों में घुसकर फसल को नुकसान भी पहुंचाते है। ग्रामीणों की मानें तो इस समस्या के कारण ही रात में मवेशियों को जहरीला पदार्थ खिला दिया जाता है।
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