हर वर्ष वलोटी गांव में गायों की संदिग्ध मौत
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष वलोटी गांव में गायों के संदिग्ध मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसमें गत 21 जनवरी 2015 को तीन गायें, 19 अगस्त 2016 को 6 गायों की जहरीला पदार्थ खाने से मौत होने की बात सामने आई थी।
गुरुवार शाम गणदेवी के पशु चिक्तिसक डॉ. एमपी भीमाणी, नवसारी के डॉ. विरल आहिर व डॉ. चाचपरा ने मौके पर पुहंच कर पांचों गायों का पोस्टमार्टम किया। वलोटी गांव के सरपंच जीतेश पटेल की शिकायत पर बीलीमोरा पुलिस उपनिरीक्षक जीएस पटेल ने जांच शुरू की है। वलोटी-करंजदेवी मार्ग पर नहर के पास मृत गायों का अंतिम संस्कार किया गया।
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष वलोटी गांव में गायों के संदिग्ध मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसमें गत 21 जनवरी 2015 को तीन गायें, 19 अगस्त 2016 को 6 गायों की जहरीला पदार्थ खाने से मौत होने की बात सामने आई थी।
गुरुवार शाम गणदेवी के पशु चिक्तिसक डॉ. एमपी भीमाणी, नवसारी के डॉ. विरल आहिर व डॉ. चाचपरा ने मौके पर पुहंच कर पांचों गायों का पोस्टमार्टम किया। वलोटी गांव के सरपंच जीतेश पटेल की शिकायत पर बीलीमोरा पुलिस उपनिरीक्षक जीएस पटेल ने जांच शुरू की है। वलोटी-करंजदेवी मार्ग पर नहर के पास मृत गायों का अंतिम संस्कार किया गया।
पांजरापोल का अभाव
गणदेवी तहसील में 272.40 हैक्टेयर गौ चरण की जमीन होने के बावजूद सरकारी पांजरापोल का अभाव है। इसके कारण बड़ी संख्या में आवारा मवेशी रास्तों पर ही अपना आशियाना बना लेते हैं। जो रास्तों के किनारे आए किसानों के खेतों में घुसकर फसल को नुकसान भी पहुंचाते है। ग्रामीणों की मानें तो इस समस्या के कारण ही रात में मवेशियों को जहरीला पदार्थ खिला दिया जाता है।