पीएचडी और एमफिल करने वाले विद्यार्थियों का थिसीस पूर्ण हो जाने के बाद उसे विश्वविद्यालय की ओर से तय किए गए बाह्य गाइड के पास जांच के लिए भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में पत्र व्यवहार होता है, जिसमें काफी समय लगता है। बाह्य गाईड जांच करले फिर बाद में विद्यार्थी का वाइवा लिया जाता है। यह प्रक्रिया काफी समय मांग लेती है। इसलिए सीनेटर कनु भरवाड़ ने इस प्रक्रिया में ओनलाइन प्रणाली को शामिल करने की मांग की है। विद्यार्थियों की ओर से तैयार किए गए थिसीस को ओनलाइन बाह्य गाइड के पास भेजा जाए।
गाईड ऑनलाईन ही थीसिस की जांच करले और बाद में उस विद्यार्थी का वाइवा लिया जाए। इससे पत्र व्यवहार में जाने वाला समय बच सकता है। साथ ही विद्यार्थी की थिसीस की समय पर जांच हो जाने से उसे जल्द पीएचडी व एमफिल की उपाधि भी मिल सकती है। विश्वविद्यालय धीरे धीरे डिजिटल प्रणाली की तरफ आगे बढ़ रहा है। कोरोना के कारण डिजिटल क्षेत्र का ओर भी अधिक उपयोग होने लगा है। ऐसे में अब विश्वविद्यालय अपने ज्यादातर कार्य ओनलाइन करने लगा है। इससे संक्रमण का खतरा तो टलता है पर साथ में समय व अन्य खर्च का भी बचाव हो रहा है।