scriptजेएलएन अस्पताल में एेसा भी होता है, जानकर रह जाएंगे हैरान | disease on the arranged involved heavy condom | Patrika News
सूरत

जेएलएन अस्पताल में एेसा भी होता है, जानकर रह जाएंगे हैरान

तमाम व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही हैं। नागौर का सबसे बड़ा जेएलएन अस्पताल बेढग़ी व्यवस्थाओं में अन्य शहरों के अस्पतालों को पीछे छोड़ रहा है। समय-समय पर जिला कलक्टर व सीएमएचओ के औचक निरीक्षण धरे के धरे रह गए। न गंभीरता समझी गई न ही प्रशासन का डर किसी को सताया।

सूरतOct 04, 2016 / 11:04 am

​babulal tak

condoms
सबकुछ ‘अलमस्त’ चल रहा है। नौकरी के नाम पर टाइम पूरा किया जा रहा है। जिम्मेदारी में कोई भागीदारी नहीं निभा रहा। अस्पताल सुधार के नाम पर कंगाल है जबकि खामियों के खाते में मालामाल हो रहा है। सुबह से शाम तक मरीजों की लंबी कतारों के अलावा जहां-तहां देखने पर पोल मिलती है। कई मंत्री, सांसद-विधायक पता नहीं कितने बार सुधार का आश्वासन दे गए, लेकिन हुआ कुछ नहीं। पत्रिका ने सोमवार को तहकीकात की तो पग-पग पर पाई गंदगी, अव्यवस्था और लापरवाही।
अस्पताल में, आखिर हो क्या रहा है?

जेएलएन अस्पताल के हालात खराब, चरमराई सफाई व्यवस्था, मरीजों को सेहत के बदले मिल रहे रोग, तमाम निरीक्षण और पकड़ी गई खामियों पर पर्दा डाल धृतराष्ट्र बन बैठा प्रशासन, आलम ये कि यूज्ड कंडोम मिल रहे हैं अस्पताल में, आखिर हो क्या रहा है?
 वार्डों में भी गंदगी का आलम है।

किसी बीमार व्यक्ति को डॉक्टर के पास दिखाने ले जाने पर बीमारी का सबसे पहला कारण गंदगी बताई जाती है। बावजूद इसके जेएलएन अस्पताल खुद गंदगी को ‘शरण’ दिए हुए है। पग-पग पर कचरा पड़ा है। सफाई का काम भी पता नहीं कौन कर रहा है। इसकी मॉनीटरिंग भी नहीं हो रही। कमाल की बात यह है कि इतने डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के होने के बावजूद इस पर कोई आवाज ही नहीं उठा रहा। कलक्टर खुद अभी कुछ दिन पहले अस्पताल में मीटिंग कर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दे गए थे। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। अब गंदगी का आलम यह रहेगा तो अस्पताल में आने वाला रोगी, स्वस्थ कैसे रह पाएगा। वार्डों में भी गंदगी का आलम है। शौचालय-मूत्रालय तक साफ नहीं हैं।
अस्पताल बना बायोवेस्ट का रोगी

अस्पताल में बायोवेस्ट का निस्तारण करने की कोई व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है। अस्पताल से निकलने वाले बायोवेस्ट को अस्पताल के ही शव परिक्षण कक्ष के पास खुले में ही एकत्र किया जा रहा है। खुले में पड़े वेस्ट को दिन भर गाय व श्वान खाते रहते हैं। कई बार तो इस वेस्ट को खाने से कई जानवरों की मौत तक हो चुकी। मरीजों के परिजनों के लिए हाल ही में धर्मशाला संचालित की गई, लेकिन किसी का ध्यान इस बायोवेस्ट की ओर नहीं जाता है। मरीज व परिजन धर्मशाला में खाना-खाने के लिए इसके पास से ही गुजरते हैं, एेसे में उन्हें भी इससे होने वाली परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में गंदगी के अलावा और भी कई सारी अव्यवस्थाएं हैं। अस्पताल में दिन भर श्वान घूम रहे हैं जो बायोवेस्ट में मुंह डालते रहते हंै।
पत्रिका : अस्पताल में सफाई व्यवस्था को लेकर क्या प्लान है?

पीएमओ : सफाई करवा रहे हैं, नया टेंडर किया है। जल्द ही नए ठेकेदार को सफाई कार्य सौंप दिया जाएगा। पुराना ठेकेदार तो भाग गया है, किसी प्रकार काम चलाया जा रहा है।
पत्रिका : अस्पताल के शौचालय में यूज्ड कंडोम पड़े हैंं?

पीएमओ : इसमें तो हम क्या कर सकते हैं, हालांकि मेरे पास अभी तक एेसी सूचना नहीं आई है। एेसा है तो दिखवाते हैं।
पत्रिका : पहले भी शौचालयों में यूज्ड कंडोम मिले, उसमंे क्या हुआ?

पीएमओ : अगर कोई डालकर जाता है तो हम उसे पकड़ नहीं सकते, हां हटवा सकते हैं।

पत्रिका : अस्पताल परिसर में खुले में बायोवेस्ट पड़ा रहता है, इसे कब तक सही करवाया जाएगा? 
पीएमओ : जो कचरा खुले में पड़ा है वो बायोवेस्ट नहीं है, वो सामान्य कचरा है। यदि किसी ने वहां पर बायोवेस्ट डाला है तो इसकी जांच करवाते हैं। या फिर हो सकता है कोई नया पर्सन आया हो।
पत्रिका : स्वच्छता में जेएलएन राज्य में तीसरे पायदान आया है, क्या वास्तव में एेसी सफाई है अस्पताल में

पीएमओ : अस्पताल सफाई में तीसरे पायदान पर नहीं आया है। इसमे सिर्फ सफाई को ही नहीं देखा जाता बल्कि कायाकल्प के तहत कई अन्य मुद्दों को देखते हुए नम्बर मिलते हैं।

Home / Surat / जेएलएन अस्पताल में एेसा भी होता है, जानकर रह जाएंगे हैरान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो