सचिन जीआइडीसी में पीने के पानी का संकट
नोटिफाइड ओथोरिटी को ज्ञापन देकर बिल नहीं देने की मांग की
सचिन जीआइडीसी में पीने के पानी का संकट
सूरत
सचिन जीआइडीसी में पिछले 20 दिनों से कारखानों में पीने के पानी की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। इसलिए सचिन के वीवर्स ने नोटिफाइड एरिया ओथोरिटी को ज्ञापन देकर पानी का बिल नहीं भेजने की मांग की है।
सचिन के वीवर और सचिन इन्डस्ट्रीयल को.ऑप सोसायटी के पूर्व सेक्रेटरी मयूर गोलवावा ने नोटिफाइड चीफ कमिश्नर को दिए ज्ञापन में बताया है कि सचिन जीआइडीसी में लगभग 1375 वीविंग एकम है जिन्होंने कि सिर्फ पीने के पानी के लिए कनेक्शन ले रखे हैं। नियम के अनुसार यहां पर 24 घंटे में तीन बार पानी आना चाहिए लेकिन पिछले 20 दिन से सिर्फ 30 मीनिट पानी आ रहा है। सचिन जीआइडीसी के तालाब में पानी संग्रह की क्षमता 550 एमएल है। नहर विभाग दिवाली से गर्मी तक यहां पर रोटेशन के अनुसार पानी छोड़ता है इसलिए जब नहर विभाग पानी नहीं छोड़ता उन दिनों के लिए नोटिफाइड एरिया को पहले से ही आयोजन कर नहर में पानी बचाना पड़ता है, लेकिन नहर विभाग की लापरवाही के कारण इन दिनों सचिन जीआइडीसी के श्रमिकों को पानी भी नहीं मिल रहा। ऐसे में वीवर्स को कारखाने चलाने के लिए अपने खर्च से बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। प्रतिदिन 20 लीटर वाले 10-12 बोटल मंगाकर अतिरिक्त खर्च कर रहे हैं। यदि नोटिफाइड एरिया ओथोरिटी पानी की व्यवस्था नहीं कर पा रहा तब त्रैमासिक बिल भी नहीं भेजना चाहिए।
टेन्डर के बिना तालाब से मिट्टी निकालने का आरोप
मयूर गोलवाला ने ज्ञापन में बताया है कि दो महीने पहले तालाब में पानी संग्रह की क्षमता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता बढ़ाने की बात कर बिना टेन्डर के मिट्टी निकलवाने का काम करवाया। इसके लिए लगभग 90 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ तक का खर्च किया।
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