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सूरत

इंजीनियरिंग संस्थानों के चंगुल से छुटने के लिए छात्रों को चुकाने पड़ते है लाखों ! पढ़कर आप भी चौंक जाओगे

– इंजीनियरिंग कालेज छोडऩा छात्रों के लिए नहीं आसान

सूरतNov 16, 2019 / 07:56 pm

Divyesh Kumar Sondarva

इंजीनियरिंग संस्थानों के चंगुल से छुटने के लिए छात्रों को चुकाने पड़ते है लाखों ! पढ़कर आप भी चौंक जाओगे

इंजीनियरिंग संस्थानों के चंगुल से छुटने के लिए छात्रों को चुकाने पड़ते है लाखों ! पढ़कर आप भी चौंक जाओगे

सूरत.

राज्य के इंजीनियङ्क्षरग के विद्यार्थियों को एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर के लिए अब ऑनलाइन आवेदन करना होगा। हालांकि एनओसी की उलझन अभी भी नहीं सुलझी है। ट्रांसफर के लिए विद्यार्थियों को दोनों संस्थानों से अनिवार्य रूप से एनओसी लेनी होगी। बिना इसके ट्रांसफर नहीं हो पाएगा।
इंजीनियङ्क्षरग के विद्यार्थियों को एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है। जिस कॉलेज में विद्यार्थी पढ़ रहा होता है, वह कॉलेज कभी भी विद्यार्थी को ट्रांसफर की अनुमति नहीं देता है। ट्रांसफर हो जाने पर कॉलेज की एक सीट कम हो जाती है और फीस के रूप में कॉलेज को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए कॉलेज प्रशासन ट्रांसफर से साफ मना कर देता है। ऐसे हालात में अब गुजरात टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी(जीटीयू) ने विद्यार्थियों को राहत मिले, इसलिए एक नया नियम लागू किया है। एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज या फिर एक संस्थान से दूसरे संस्थान में ट्रांसफर के इच्छुक विद्यार्थियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। यह ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य किया गया है।
आवेदन के साथ विद्यार्थी को जिस कॉलेज में पढ़ रहा है और जिस कॉलेज में प्रवेश चाहता है दोनों के पास से एनओसी हासिल करनी होगी। एनओसी को फॉर्म के साथ जोडऩा होगा। साथ ही इसकी हार्डकॉपी को जीटीयू के मुख्यालय में जमा करना होगा। विद्यार्थी को 11 दिसम्बर तक आवेदन करने की अनुमति दी गई है। अंतिम सेमेस्ट में पढऩे वाले या फिर फेल और नकल की सजा वाले विद्यार्थी आवेदन नहीं कर सकते हैं।
– क्या मिल पाएगी एनओसी
भले जीटीयू ने ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन का नियम लागू किया है। यह विद्यार्थियों के लिए राहत की बात है। लेकिन संस्थान से एनओसी हासिल करना मुश्किल है। संस्थान किसी भी हाल में विद्यार्थियों को एनओसी नहीं देते हैं। एनओसी के लिए सभी सेमेस्टर की फीस जमा करने का निर्देश दिया जाता है। फीस जमा होने पर ही एनओसी दी जाती है। एनओसी नहीं देने को लेकर हर साल सैकड़ों विद्यार्थी जीटीयू को शिकायत करते हैं, लेकिन इस समस्या का अभी तक कोई हल नहीं निकला है।
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