सूरत समेत दक्षिण गुजरात में झींगा पालन समेत एक्वाकल्चर गतिविधियों की बड़ी संभावनाएं हैं। इस दिशा में इस क्षेत्र में काम भी हो रहा है। नीदरलैंड ने एक्वाकल्चर के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग में रुचि दिखाई है। साथ ही वहां के व्यापारी सूरत के साथ कारोबारी संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। वेस्टर्न रीजन इंडिया के नीदरलैंड कांसुलेट की टीम चैम्बर प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर झींगा उत्पादन समेत एक्वाकल्चर में तकनीकी सहयोग के साथ ही नीदरलैंड में उसके एक्सपोर्ट और अन्य कारोबारी संभावनाओं पर विचार-विमर्श करेगी।
यह टीम सूरत के डूमस समेत ओलपाड, नवसारी, वलसाड और अन्य जगहों पर पहले साइट विजिट कर चुकी है। स्थलीय मुआयने से संतुष्ट होने के बाद ही टीम ने चैम्बर के साथ संवाद का निर्णय किया है। इससे पहले इसी साल अप्रेल में नीदरलैंड में आयोजित एक्वा एक्सपो में सूरत समेत दक्षिण गुजरात से पांच प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। उस दौरान उन्हें एक्वाकल्चर के क्षेत्र में नीदरलैंड में इस्तेमाल हो रही तकनीक की जानकारी दी गई थी।
सीएम के दौरे की तैयारी पर चर्चा मनपा आयुक्त एम. थेन्नारसन के नेतृत्व में मंगलवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के सूरत दौरे की तैयारियों पर चर्चा की गई। अधिकारियों की टीम ने स्थलीय मुआयना भी किया, जहां मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होगा। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी 20 मई को सूरत आ रहे हैं। वह स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव में भाग लेने के अलावा कई अन्य आयोजनों में मौजूद रहेंगे। आयुक्त ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री के दौरे और इस दौरान होने वाले आयोजनों की तैयारियों पर चर्चा की।
यूपी प्रतिनिधिमंडल आज सूरत आएगा शहर में विकास की प्रक्रिया को समझने के लिए उत्तर प्रदेश की स्थानीय निकायों का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को सूरत आएगा। प्रतिनिधिमंडल सदस्य अधिकारियों से चर्चा के साथ ही साइट विजिट करेंगे। इस दौरे का मकसद सूरत में चल रहे प्रोजेक्ट्स को जानने के साथ ही विकास के सिस्टम को समझना है। साथ ही यूएस प्रतिनिधियों के भी सूरत आने का कार्यक्रम है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। यह टीम भी मनपा के कामकाज को समझने की कोशिश करेगी। बताया गया है कि मनपा अधिकारी टीम के समक्ष स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन देंगे।
भरती से तापी का जलस्तर बढ़ा कभी दोनों किनारों से बहने वाली तापी नदी जलस्तर कम होने से मैदान जैसी नजर आने लगी है, लेकिन मंगलवार को अमावस्या पर दरिया में ज्वार-भाटे के कारण भरती का पानी नदी की ओर बढ़ा तो तापी अपने मूल रूप में नजर आई।