प्रकरण के अनुसार सूरत निवासी आस्था बंसल (बदला हुआ नाम) ने मुंबई निवासी अक्षय बंसल (बदला हुआ नाम) के खिलाफ फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर प्रति माह 1.50 लाख रुपए और पुत्री के लिए प्रति माह 1 लाख रुपए के भरण-पोषण की मांग की थी। आस्था ने याचिका में दावा किया था कि उसने अक्षय के साथ सूरत के मंदिर में शादी की थी और होटल में रिसेप्शन भी रखा गया था। शादी के बाद उनके यहां पुत्री का जन्म हुआ, लेकिन इससे पहले पति समेत ससुराल पक्ष के लोग ऑबर्शन के लिए दबाव बनाते हुए उसे प्रताडि़त करते थे। पुत्री के जन्म के बाद पति उसे सूरत छोड़ कर चला गया।
इसके बाद आस्था ने कोर्ट में याचिका दायर कर भरण-पोषण के लिए गुहार लगाई। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मोना कपूर ने दलीलों में कहा कि याचिककर्ता और उनके मुवक्किल की शादी नहीं हुई है, दोनों सहमति से लिव इन रिलेशनशिप में थे। सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और सबूतों से याचिकाकर्ता ने जिस तारीख को शादी होने का दावा किया है, उसकी पहली शादी अस्तित्व में होने की बात कोर्ट के सामने आई। अभियोजन पक्ष कानूनी तौर पर पत्नी होने दावा साबित करने में विफल रहा।
अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अधिवक्ता कपूर की दलीलों तथा सबूतों को ध्यान में रखते हुए माना कि कानून के मुताबिक जब तक पहले पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ हो, तब तक कोई भी किसी अन्य से शादी नहीं कर सकता। कोर्ट ने महिला की याचिका नामंजूर कर दी, जबकि दोनों के बीच लिव इन रिलेशनशिप के संबंध मानते हुए और इसी संबंध में बच्ची के जन्म की बात को मानते हुए बच्ची को प्रति माह पांच हजार रुपए भरण पोषण के तौर पर चुकाने का आदेश दिया।