जानकारी के मुताबिक अडाजन पालनपोर सुर्यम अपार्टमेंट निवासी मुकेश रमेश ठक्कर (36) सूरत में चार्टड एकाउंटेंट (सीए) का कार्य करते है। उनके मूल निवास बनासकांठा जिले की डीसा तहसील के भिलड़ी गांव से मां उषा रमेश ठक्कर (53) एक माह पहले सूरत में रहने आई थी। 11 जनवरी को सुबह 4 बजे उषा को मिर्गी आई और उल्टी शुरू हो गई। परिजनों ने उनको बीएपीएस प्रमुख स्वामी अस्पताल में भर्ती करवाया। न्यूरोसर्जन डॉ. हसमुख सोजित्रा ने सीटी स्कैन रिपोर्ट करवाया जिसमें दिमाग में रक्त की नस फटने की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉ. हसमुख ने सर्जरी करके दिमाग की फटी नस को क्लिपिंग किया। लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं आया। बाद में 16 जनवरी को चिकित्सकों की टीम ने उनको ब्रेनडेड घोषित किया। अस्पताल से सूचना मिलने पर डोनेट लाइफ के प्रमुख निलेश मांडलेवाला पहुंचे और परिवार को अंगदान के बारे में समझाया। पति रमेश, पुत्र मुकेश, जमाई जीगर, हिरेन और उपेन्द्र समेत ठक्कर समाज के अग्रणी अल्पेश ठक्कर ने अंगदान के लिए सहमति दी। इसके बाद उन्होंने स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (एसओटीटीओ) से सम्पर्क किया। एसओटीटीओ ने लीवर सूरत की किरन अस्पताल और दोनों किडनी अहमदाबाद की आइकेडीआरसी को दान में दी। वहीं चक्षुओं का दान लोकदृष्टि चक्षुबैंक के डॉ. प्रफुल शिरोया ने स्विकार किया। दान में मिला लीवर जुनागढ़ निवासी 40 वर्षीय व्यक्ति में सूरत की किरन अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया। वहीं दोनों किडनी दो जरुरतमंद मरीजों को अहमदाबाद आइकेडीआरसी में ट्रांसप्लांट किया जाएगा। शहर पुलिस के द्वारा बीएपीएस प्रमुख स्वामी अस्पताल से किरण अस्पताल में लीवर पहुंचाने के लिए 86वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया। गौरतलब है कि सूरत और दक्षिण गुजरात से डोनेट लाइफ द्वाारा 1069 अंगों और टिश्यू का दान लिया गया हैं। इसमें 448 किडनी, 192 लीवर, 8 पेंक्रीयाज, 43 हृदय, 26 फेफड़े, 4 हाथ और 348 चक्षुओं के दान से 982 लोगों को नया जीवन और दृष्टि मिली हैं।