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सूरत

खेतों में लहराई फसलें, हरियाली देख किसान खुश

सिंचित क्षेत्रों में अरहर, चना व सब्जियों की बुवाई

सूरतDec 05, 2018 / 05:45 pm

Sunil Mishra

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खेतों में लहराई फसलें, हरियाली देख किसान खुश


सिलवासा. दमणगंगा से निकली नहर वितरिकाओं से की गई रबी की फसलों ने खेतों में हरियाली की चादर ओढ़ ली है। मैदानी क्षेत्र मसाट, नरोली, रखोली, सायली, दुधनी, मेघवाड़ में रबी वाली वाली फसलों की बुवाई हुई है। मौसम में ठंडक की कमी के बावजूद सिंचित क्षेत्रों में अरहर, चना, मटर, सेम व सब्जियों से खेत भरे हैं। शहर के नजदीकी खेतों में मूली, बैंगन, गोभी, मटर, पालक उगाई गई है।
सिंचाई परियोजनाओं के सहारे किसानों ने खेतों में चना, सरसों, अरहर व मौसमी सब्जियां बोई हैं। मसाट, सायली और नरोली में नहरों से पूरे विस्तार में खेत हरियाली से खिल गए हैं। दुधनी के किसानों ने चना और सरसों के अलावा गेहूं की खेती की है। उद्योगों में रोजगार के घटते अवसरों से किसान कृषि की ओर आकर्षित हुए हैं। कृषि अधिकारी सुरेश भोया ने बताया कि प्रदेश में 4 हजार हैक्टेयर में रबी की बुवाई हुई है। मैदानी क्षेत्र की उपजाऊ जमीन खाद्यान्नों एवं सब्जियों के लिए उत्तम है। सायली, मसाट और नरोली में नहरें होने से किसानों ने रबी फसलों की बुवाई की है। नरोली में पहले गन्ना की खेती होती थी। शुगर फैक्ट्री के अभाव में यहां के किसान सब्जियां उगाने लगे हैं।
इस बार नवम्बर में तापमान अधिक होने से भी रबी की लक्ष्य के मुकाबले 70-75 फीसदी बुवाई हो सकी है। कृषि विभाग के अनुसार 6 हजार हैक्टेयर में रबी की खेती का लक्ष्य है। तापमान अधिक रहने से असिंचित क्षेत्रों में रबी की बुवाई कम हुई है। कम खेती का कारण सितम्बर-अक्टूबर में मानसून की जल्दी विदाई से खेतों में नमी नहीं होना रहा।
597 लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
सिलवासा. सिलवासा नगर परिषद में 597 लाभार्थियों के प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बन रहे हैं। इसमें 12 लाभार्थियों ने घर का निर्माण पूरा कर लिया है तथा 511 घरों का नीव स्तर तक पहुंच गया है। 285 घर जल्दी ही बनकर पूरे होंगे।
एसएमसी प्रमुख राकेश चौहान ने बताया कि शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बीएलसी तथा एफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (एएचपी) योजनाओं के तहत योग्य लाभार्थियों से आवेदन मांगे थे, जिसमें 803 लाभार्थी योजना के लायक पाए गए। इसमें 597 लाभार्थियों के घरों का निर्माण एसएमसी के दिशा निर्देशों के अनुसार चल रहा है। बीएलसी लाभार्थियों के पास स्वयं की जमीन होना आवश्यक है तथा वार्षिक आय 3 लाख से कम होने पर ही योजना का लाभ मिलता है। इस योजना में घर बनाने के लिए 1.50 लाख रुपए केन्द्रीय सरकार 1.29 लाख रुपए स्थानीय प्रशासन का अनुदान मिलता है। लाभार्थी अपनी ओर से अधिक खर्च करके भी और सुन्दर घर बना सकते हैं। एएचपी के तहत आर्थिक रूप से कमजोर जिनके पास खुद का घर नहीं है तथा लाभार्थी पिछले 5 वर्ष से दादरा नगर हवेली में रहता हो। उसके पास देश के किसी भी राज्य में पक्का मकान नहीं हैं तभी एएचपी के योग्य माने गए हैं। एएचपी लाभार्थियों को 1.50 लाख भारत सरकार तथा एक लाख संघ प्रशासन देगा। लाभार्थी उसी दशा में योग्य माना जाएगा, जब उसकी सालाना आय 3 लाख से कम हो।

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