दक्षिण गुजरात में यह है बीज की व्यवस्था
दक्षिण गुजरात में किसान तीन तरीकों से कृषि बीज हासिल करता है। लगभग तीस फीसदी बीज तो किसान अपनी फसल से खुद ही बना लेता है। बाकी बीजों के लिए उसे खुले बाजार और सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। राज्य बीज निगम के पास कई बार हाइब्रिड और उच्च क्वालिटी के बीज नहीं मिलते तो किसान को विभिन्न एजेंसियों से उन्नत बीज खरीदने पड़ते हैं। इनकी कीमत सरकारी बीज से तो अधिक होती है, लेकिन फसल की उत्पादकता पर काफी असर पड़ता है। इसलिए समृद्ध किसान तो निजी एजेंसियों को ही प्राथमिकता देते हैं। सूरत जिला समेत दक्षिण गुजरात में बीज बैंक का लाइसेंस किसानों को मिले तो उनकी बड़ी मुश्किल आसान हो सकती है।सरकार कहे नहीं करे
बीज बैंक बनाना और लाइसेंस देना ही नहीं कई दूसरी योजनाएं भी कागजी ही ज्यादा हैं। सरकार थोड़ा भी करेगी तो खेती को बड़ा फायदा होगा। किसानों को ट्रेनिंग देकर अगर बीजों को चुनने और सहेजने की प्रकिया ही समझा दी जाए तो गुणात्मक बदलाव दिख सकते हैं।किरन पटेल, कृषक, राजपीपला, नर्मदा जिला
सिर्फ वादे हैं
सरकार किसानों के लिए कुछ नहीं कर रही है। किसानों को पता ही नहीं है कि कृषि के लिए क्या योजनाएं हैं और उनका लाभ किस तरह लिया जाए। सरकार भी खोखले वादे ही कर रही है। किसानों का भला करना है तो जमीन पर काम दिखाना होगा।दर्शन नायक, किसान नेता, सूरत जिला
मेरे पास कोई जानकारी नहीं
बीज बैंक को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। शासन से भी कोई परिपत्र नहीं मिला है, जिसमें सूरत जिले को बीज बैंक योजना से जोड़ा गया हो।नितिन गामित, जिला कृषि अधिकारी, सूरत