script‘अपने लिए जिए तो क्या जिए; आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया | For the treatment of the helpless Haney, the offspring couple sold the | Patrika News
सूरत

‘अपने लिए जिए तो क्या जिए; आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया

मोटा वराछा के पास वेलंजा में फ्लैश फायर हादसे में बच्ची के माता-पिता समेत पूरे परिवार की हो गई थी मौत

सूरतSep 23, 2019 / 09:48 pm

Sandip Kumar N Pateel

'अपने लिए जिए तो क्या जिए;  आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया

‘अपने लिए जिए तो क्या जिए; आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया

सूरत. ऐसे दौर में, जहां करीबी रिश्तों पर भी स्वार्थ हावी हो, समाज में ऐसे लोग भी हैं, जो इंसानियत के लिए मिसाल हैं और जो ‘अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ए दिल जमाने के लिए के मर्म को बखूबी समझते हैं। वराछा के लिंबाचिया दम्पती इनमें से एक हैं। यह दम्पती हैनी नाम की ऐसी बच्ची को पाल रहे हैं, जिसका पूरा परिवार नौ महीने पहले घर में लगी आग में खत्म हो गया। हादसे में 45 दिन की हैनी का मुंह का हिस्सा गंभीर रूप से झुलस गया था। लिंबाचिया दम्पती ने इस बच्ची को अपनाया और उपचार करवा कर उसे फिर खूबसूरत बना दिया। इसके लिए दम्पती ने ब्याज पर रुपए ही नहीं लिए, अपने घर का सामान तक बेच दिया।
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'अपने लिए जिए तो क्या जिए; आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया
मोटा वराछा के पास वेलंजा में भावेश कोलडिय़ा परिवार के साथ रहता था। 16 जनवरी को उसके घर में फ्लैश फायर में पति-पत्नी, पुत्र और पुत्री बुरी तरह झुलस गए थे। डेढ़ महीने की हैनी को छोड़ माता-पिता और बड़े भाई की मौत हो गई। हैनी के लिए उसके पिता के दोस्त नीलेश लिंबाचिया और उनकी पत्नी फरिश्ता बनकर आए। दस साल के वैवाहिक जीवन के बाद भी निसंतान दम्पती ने हैनी को गोद ले लिया और उसके उपचार की जिम्मेदारी ली। नीलेश पेशे से फोटोग्राफर हैं और स्टूडियो चलाते हैं। आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने के बावजूद वह हैनी को लेकर कई अस्पताल घूमे और उसका उपचार करवाया। इसके लिए उसने ब्याज पर रुपए लिए और अपने कैमरे के अलावा घर का सामान तक बेच दिया। आठ महीने के उपचार के बाद हैनी के चेहरे पर फिर मासूम मुस्कान लौट आई है। उसका उपचार फिलहाल जारी है।
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सब कुछ न्योछावर करने को तैयार

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कई बार खून के रिश्तों में भी ऐसा अपनापन और समर्पण देखने को नहीं मिलता, जो नीलेश और हैनी के रिश्ते में झिलमिलाता है। नीलेश का कहना है कि हैनी अब उनकी बेटी है। उसके उपचार के लिए वह अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हैं। उन्होंने हैनी के उपचार के लिए अब अपना मकान और गांव की जमीन बेचने का निर्णय किया है।
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