प्रतिमाओं को नए कपड़े पहनाकर महिलाओं ने जल, बिंदी, दूब, मोली, काजल, मेहंदी से श्रंृगार किया। आयोजन के बाद ईसर-गौर प्रतिमा को सिर पर रखकर समूह में गीत गाती हुई बिन्दौळे निकाले। प्रमुख विहार, पार्क सिटी, आमली तिरूपति रेजीडेंसी, ग्रीनपार्क, बाविसा फलिया, लवाछा अंबिका पार्क, दादरा सांई कॉम्पलेक्स में गणगौर उत्सव चल रहा है। एक घर से दूसरे घर पर गणगौर प्रतिमाओं को मान-मनुवार होने लगा है। दोपहर के बाद तिरूपति रेजीडेंसी में पूजन करने वाली महिलाओं ने गणगौर का सामूहिक उत्सव रखा।
महिलाओं ने ईसर-गौर, कनिराम, रोवाबाई, सोवा बाई, मालन की मूर्तियों की विधिविधान से पूजा की। इस दौरान गौर रे गणगौर माता खोल ए किंवाड़ी, बाहर उबी थारी पूजन वाली, ओडो छै खोडो छै घुघराए, रानियारे माथे मोर जैसे गीतों से राजस्थानी माहौल व्याप्त हो गया। महिलाओं के साथ लड़कियां भी गणगौर पूजन में हिस्सा ले रही हैं। यह सिलसिला 14 अप्रैल तक चलेगा।