सोशल मीडिया पर मजाक सच बन गया कपड़ा उद्यमी सुभाष डावर ने बताया कि गत वर्ष 5 अगस्त को धारा 370 हटी तो उन्होंने सोशल मीडिया पर वहां जमीन खरीदकर उद्योग लगाने की बात कही तो कई लोगों ने इसे मजाक समझा। जैसे ही कश्मीर में जमीन खरीदने व उद्योग स्थापित करने की छूट मिली तो उन्होंने वहां फेब्रिक्स फर्म के व्यापारियों के साथ बातचीत की और दीपावली पर ऑफिस खोलकर जमीन तय कर आए।
यूं होगा काम कश्मीर की हस्तकला और वहां के पोचूं, शॉल, कुर्ती, कारपेट आदि की देश-दुनिया में भारी मांग रहती है। वहां ज्यादातर घरों में महिला-पुरुष आरी व चांदी का जरी वर्क हाथों से करते हैं। इसी वर्क को एम्ब्रोडरी की सिक्वेेंस व कोडिंग मशीन पर करने का डेमो वहां कारीगरों और व्यापारियों को दिखाया तो उन्हें कम समय में अधिक उत्पादन का गणित समझ में आया। अब वे 80 फीसदी मशीनरी वर्क और 20 फीसदी हैंडवर्क करेंगे। जिससे कश्मीरी हस्तकला की पहचान भी बरकरार रहे। श्रीनगर समेत अन्य कस्बों में कारीगरों को एम्ब्रोडरी वर्क में होशियार बनाने के लिए जल्द ही सिक्वेंस, कोडिंग व मिक्सर एम्ब्रोडरी मशीनें भेजकर वर्कशॉप करेंगे।
आत्मनिर्भर कश्मीर के लिए सरकार की मदद लेंगे भागीदार हुसैन मोहम्मद का भी मानना है कि आतंक के चलते जम्मू-कश्मीर के उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं। अब स्थानीय कपड़ा उद्योग को विकसित करने के लिए एम्ब्रॉयडरी पार्क व अन्य इंडस्ट्रीयल पार्क के लिए सरकारी योजनाओं के तहत जमीन, मशीन, कच्चे माल आदि पर सरकारों को सब्सिडी देनी चाहिए।