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सूरत

GOOD NEWS: कश्मीरी कसीदे कढ़ेगा सूरत का कपड़ा उद्योग

धारा 370 हटी तो राह खुली, एम्ब्रॉयडरी मशीनों से नई क्रांति…, श्रीनगर में सिल्कसिटी से संभवत: पहला कॉर्पोरेट ऑफिस, एम्ब्रोडरी पार्क की जमीन तय, मशीनों पर होगी बुनाई-कढ़ाई

सूरतNov 25, 2020 / 12:40 pm

Dinesh Bhardwaj

GOOD NEWS: कश्मीरी कसीदे कढ़ेगा सूरत का कपड़ा उद्योग

GOOD NEWS: कश्मीरी कसीदे कढ़ेगा सूरत का कपड़ा उद्योग

सूरत. सूरत के कपड़ा उद्योग के तार (धागे) कश्मीर से भी जुड़ गए हैं। स्टार्टअप और आत्मनिर्भर भारत की खडख़ड़ सूरत की एम्ब्रॉयडरी मशीनों के जरिए से आतंक वाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर मेंं भी सुनाई देगी। कश्मीरी हस्तकला के साथ सूरत के वस्त्र उद्योग का फ्यूजन करने के लिए श्रीनगर में संभवत पहला कॉर्पोरेट ऑफिस खुल गया है। वहां एम्ब्रोडरी पार्क स्थापित करने के लिए डल झील के निकट जमीन भी तय कर ली गई है।
एक वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के कपड़ा उद्योग को मशीनरी तकनीक से बुलंदियों तक पहुंचाने का सपना सूरत के कपड़ा उद्यमी सुभाष डावर ने देखा था। बीते वर्षों से वे अपनी फेब्रिक्स फर्म के जरिए कश्मीर के कपड़ा व्यापारियों से जुड़े थे। इस बार वे दीपावली की छुट्टियों में श्रीनगर गए और वहां एम्ब्रोडरी मशीनरी कंपनी का ना केवल कॉर्पोरेट ऑफिस खोल आए, बल्कि वहीं के कपड़ा व्यापारी हुसैन मोहम्मद को भागीदार भी बना लिया। ताकि वे स्थानीय कपड़ा कारीगरों को हस्तकला के साथ-साथ एम्ब्रॉयडरी मशीन से जोड़ सकें। अब वे आतंक की घाटी में पहला एम्ब्रॉयडरी पार्क खोलने जा रहे हैं। इसके लिए श्रीनगर में गुलमर्ग रोड पर के लिए 5 से 10 एकड़ जमीन भी तय कर ली है।
सोशल मीडिया पर मजाक सच बन गया

कपड़ा उद्यमी सुभाष डावर ने बताया कि गत वर्ष 5 अगस्त को धारा 370 हटी तो उन्होंने सोशल मीडिया पर वहां जमीन खरीदकर उद्योग लगाने की बात कही तो कई लोगों ने इसे मजाक समझा। जैसे ही कश्मीर में जमीन खरीदने व उद्योग स्थापित करने की छूट मिली तो उन्होंने वहां फेब्रिक्स फर्म के व्यापारियों के साथ बातचीत की और दीपावली पर ऑफिस खोलकर जमीन तय कर आए।
यूं होगा काम

कश्मीर की हस्तकला और वहां के पोचूं, शॉल, कुर्ती, कारपेट आदि की देश-दुनिया में भारी मांग रहती है। वहां ज्यादातर घरों में महिला-पुरुष आरी व चांदी का जरी वर्क हाथों से करते हैं। इसी वर्क को एम्ब्रोडरी की सिक्वेेंस व कोडिंग मशीन पर करने का डेमो वहां कारीगरों और व्यापारियों को दिखाया तो उन्हें कम समय में अधिक उत्पादन का गणित समझ में आया। अब वे 80 फीसदी मशीनरी वर्क और 20 फीसदी हैंडवर्क करेंगे। जिससे कश्मीरी हस्तकला की पहचान भी बरकरार रहे। श्रीनगर समेत अन्य कस्बों में कारीगरों को एम्ब्रोडरी वर्क में होशियार बनाने के लिए जल्द ही सिक्वेंस, कोडिंग व मिक्सर एम्ब्रोडरी मशीनें भेजकर वर्कशॉप करेंगे।
आत्मनिर्भर कश्मीर के लिए सरकार की मदद लेंगे

भागीदार हुसैन मोहम्मद का भी मानना है कि आतंक के चलते जम्मू-कश्मीर के उद्योग-धंधे चौपट हो चुके हैं। अब स्थानीय कपड़ा उद्योग को विकसित करने के लिए एम्ब्रॉयडरी पार्क व अन्य इंडस्ट्रीयल पार्क के लिए सरकारी योजनाओं के तहत जमीन, मशीन, कच्चे माल आदि पर सरकारों को सब्सिडी देनी चाहिए।

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