गुजरात शिक्षा विभाग इन दिनों अपने पाठ्यक्रम में सीबीएसइ पैटर्न पर बदलाव कर रहा है। इसकी शुरुआत 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम और परीक्षा से की गई। बाद में 9वीं और 11वीं के पाठ्यक्रमों में भी सीबीएसइ पाठ्यक्रम को शामिल कर लिया। कक्षा 1 से 8वीं तक का पाठ्यक्रम भी सीबीएसइ के अनुरूप कर दिया गया है। गुजरात बोर्ड ने एनसीइआरटी की किताबों के अनुसार 10वीं के विद्यार्थियों की अलग से बोर्ड परीक्षा ली। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सूरत से की गई थी और प्रयोग सफल रहने पर प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी इसे लागू किया गया।
सीबीएसइ की तर्ज पर गुजरात शिक्षा विभाग ने अब अपने शैक्षणिक सत्र को व्यवस्थित करने की कवायद शुरू की है। इसके तहत बोर्ड ने अप्रैल में नया शिक्षा सत्र शुरू करने का निर्णय किया है। इसके तहत सीबीएसइ की तर्ज पर चार सप्ताह शिक्षण कार्य के बाद वेकेशन होगा। इस व्यवस्था पर अमल के लिए गुजरात शिक्षा विभाग ने गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को आदेश दिया है। गुजरात बोर्ड ने इस आशय का परिपत्र तैयार कर अमल का जिम्मा जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा है। परिपत्र मिलते ही जिला शिक्षा अधिकारी ने इसे स्कूलों को भेजा है। इसमें स्कूलों को अप्रैल से नया शिक्षा सत्र शुरू करने के आदेश दिए हैं।
स्वनिर्भर स्कूल संचालकों में असमंजस
इस आदेश को लेकर स्वनिर्भर स्कूल संचालकों में असमंजस की स्थिति में है। शिक्षा विभाग के इस आदेश का स्वनिर्भर शाला संचालक मंडल ने विरोध जताया है। उन्होंने आगामी सत्र से इस पर अमल की मांग की है। स्वनिर्भर शाला संचालक मंडल अध्यक्ष दीपक राजगुरु ने बताया कि 5 मार्च से गुजरात बोर्ड की परीक्षा शुरू होगी जो 17 मार्च के आस-पास सम्पन्न होगी। इसके बाद अप्रैल 1 से 18 अप्रैल तक स्कूलों में कक्षा 1 से 8 और 9-11 की परीक्षा आयोजित होंगी। ऐसे में 20 अप्रैल से नए शिक्षा सत्र को शुरू करना व्यावहारिक नहीं है। नई व्यवस्था पर अमल के लिए स्कूल संचालकों को समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा सत्र 2021-22 से इस पर अमल किया जाना चाहिए।