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सूरत

गुरु पूर्णिमा चंद्रग्रहण से रहेगी बेअसर

माध्य चंद्रग्रहण की शुरुआत रविवार रात 11 बजने के बाद होगी

सूरतJul 02, 2020 / 09:20 pm

Dinesh Bhardwaj

गुरु पूर्णिमा चंद्रग्रहण से रहेगी बेअसर

गुरु पूर्णिमा चंद्रग्रहण से रहेगी बेअसर

सूरत. एक महीने में तीसरा व दूसरा चंद्रग्रहण रविवार को गुरु पूर्णिमा को होगा, हालांकि शिष्यों के गुरु के प्रति समर्पण भाव दिखाने के पर्व गुरु पूर्णिमा पर माध्य चंद्रग्रहण होने से इसका कोई असर नहीं होगा और ना ही सूतककाल लगेगा। बहरहाल गुरु पूर्णिमा के ज्यादातर आयोजन कोविड-19 की गाइडलाइन की वजह से मठ, आश्रम व मंदिरों में स्थगित रखे गए हैं।
प्रत्येक वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के मौके पर गुरु पूर्णिमा पर्व सूरत समेत देशभर में कोविड-19 की वजह से इस बार सादगी के साथ मनाया जाएगा। गतवर्ष की तरह इस बार भी गुरु पूर्णिमा के मौके पर रविवार को चंद्रग्रहण है लेकिन यह पिछले वर्ष जैसा खंडग्रास चंद्रग्रहण ना होकर माध्य चंद्रग्रहण है। इसलिए इसमें गुरु पूजन समेत अन्य विधिविधान में ज्योतिष मत से किसी तरह की दिक्कत नहीं बताई गई है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर रविवार को सामान्य स्तर पर श्रद्धालुजन गुरुजनों के प्रति सांकेतिक पूजन-दर्शन व अर्चन कर अपने भाव प्रकट कर सकेंगे। शहर व आसपास में ज्यादातर साधु-संतों के मठ, आश्रम व मंदिर परिसरों में गुरु पूर्णिमा पर्व के आयोजन रविवार को स्थगित रखे गए हैं। इससे पूर्व आषाढ़ मास की शुरुआत में ही 5 जून को उपच्छाया चंद्रग्रहण व उसके बाद अमावस्या को चुड़ामणि सूर्यग्रहण के योग बन चुके हैं।

इसलिए रहेगा पर्व ग्रहण से बेअसर


ज्योतिषी घनश्याम भारद्वाज ने बताया कि पूर्णिमा तिथि 4 जुलाई को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से प्रारम्भ होगी और अगले दिन 5 जुलाई सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर पूर्ण होगी। वहीं, रविवार रात 11 बजकर 15 मिनट से मध्यरात्रि बाद 2 बजकर 33 मिनट तक माध्य चंद्रग्रहण रहेगा अर्थात चंद्रमा धुंधला होता दिखाई देगा। यह ज्योतिष मत में ग्रहण के रूप में नहीं गिना जाता और इसका सूतक भी नहीं लगता, इसलिए इसका गुरु पूर्णिमा पर्व पर कोई असर नहीं रहेगा।

होगी बाबा भोलेनाथ की आराधना


गुरु पूर्णिमा के बाद छह जुलाई सोमवार से पवित्र श्रावण मास की शुरुआत हो जाएगी और शहर समेत दक्षिण गुजरात में बाबा भोलेनाथ की आराधना का दौर शुरू हो जाएगा। हालांकि अन्य त्योहार-उत्सव के समान कोविड-19 का ग्रहण श्रावण मास पर लगेगा और श्रद्धालुओं को शिवभक्ति कोविड-19 की गाइडलाइन के दायरे में रहकर ही करनी पड़ेगी। श्रावण मास की अमावस्या के बाद गुजराती-मराठी पंचांग मुताबिक स्थानीय श्रद्धालु भी शिवभक्ति में शामिल हो जाएंगे।

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