ज्वैलर्स एसोसिएशन का कहना है कि हॉलमार्किंग से आभूषण की खरीद-फरोख्त से प्रमाणिता व पादर्शिता बढ़ेगी। हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी बेचने पर किसी प्रकार की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी। इसका मतलब है कि गहने बेचने पर पूरी-पूरी कीमत मिलेगी। उपभोक्ता जो सोना खरीदेंगे उसकी गुणवत्ता की गारंटी रहेगी। इससे मिलावटखोरों का धंधा बंद हो जाएगा। देशभर में हॉलमार्किंग लागू करने की तारीख कई बार बढ़ाई जा चुकी है। इस साल जनवरी में लागू किया जाना था, मगर कोरोना की वजह से तारीख बढ़ाकर एक जून कर दी थी। कोरोना संक्रमण के चलते शुरुआत में हॉलमार्किंग की अनिवार्यता से कई व्यापारियों को दिक्कत भी हो सकती है।
हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता का प्रमाणन है जो अभी तक स्वैच्छिक रूप से लागू था। ज्वलरों को इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरों (बीआईएस)के पास अपना पंजीकरण कराना होगा। हालांकि यह मामला पिछले एक साल से चल रहा है और कोविड जैसे हालात के चलते कई ज्वेलर इस मामले में पूरी तैयारी नहीं कर पाएं। कई ज्वेलरों की शिकायत है कि सरकार की ओर समुचित हॉलमार्किंग सेंटर्स की व्यवस्था नहीं है।