साक्षी को किडनी में चोट लगी थी। न्यू सिविल अस्पताल में किडनी विभाग नहीं होने के कारण निजी चिकित्सकों को बुलाया गया। साक्षी को भी तीन से चार यूनिट रक्त चढ़ाया गया। उसके पैर की सर्जरी होनी थी, लेकिन बाद में उसे भी दवा से ठीक कर लिया गया।
परिजनों ने बताया कि सर्जरी और हड्डी विभाग के चिकित्सकों ने उनके बच्चों का काफी ख्याल रखा। इमरजेंसी में किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को फोन करने के लिए परिजनों को पहले से बता दिया गया था। आरएमओ डॉ. केतन नायक, सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निमेष वर्मा, हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरि मेनन की निगरानी में सत्रह दिन लम्बे उपचार के बाद मंगलवार को दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अस्पताल ने देव और साक्षी को एम्बुलेंस में घर तक भेजने की व्यवस्था की।
अच्छी तरह देखभाल
न्यू सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने देव की अच्छी तरह देखभाल की। ऑपरेशन के समय और बाद में चिकित्सक देव को देखने आते रहे। सात-आठ यूनिट रक्त भी चढ़ा, जिसका चार्ज नहीं लिया गया। मैं हीरा कारखाने में नौकरी करता हूं। हादसे में पत्नी मनीषा भी घायल हुई थी। उसके दोनों हाथ में फैक्चर हुआ था। गौरांग पटेल, देव के पिता
एम्बुलेंस से घर छोड़ा
डांग बस हादसे में मेरे भाई की लडक़ी कृषा पटेल (१२) की मौत हो गई थी। वह पांचवी कक्षा में पढ़ती थी, जबकि साक्षी को गंभीर चोट आई थी। अस्पताल के चिकित्सकों ने अच्छी तरह उसका उपचार किया। नर्स समेत पूरे वार्ड के स्टाफ का व्यवहार अच्छा था। रक्त और दवा के कोई रुपए नहीं लिए गए। अंकित श्रीजी, साक्षी के पिता