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सूरत

अभिभावकों के चेहरों पर झलक उठी खुशी

डांग बस हादसे में घायल दो बच्चों को न्यू सिविल अस्पताल में सत्रह दिन के इलाज के बाद मंगलवार शाम छुट्टी दे दी गई। दोनों बच्चों के…

सूरतJan 08, 2019 / 11:43 pm

मुकेश शर्मा

Happy look at the faces of parents

Happy look at the faces of parents

सूरत।डांग बस हादसे में घायल दो बच्चों को न्यू सिविल अस्पताल में सत्रह दिन के इलाज के बाद मंगलवार शाम छुट्टी दे दी गई। दोनों बच्चों के माता-पिता के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। परिजनों ने अस्पताल में उपचार की तारीफ करते हुए कहा कि न्यू सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने उनके बच्चों को मौत के मुंह से बचा लिया। हादसे में चचेरी बहन को खो चुकी नौ वर्षीय बच्ची को घर ले जाते समय उसके माता-पिता जरूर थोड़े उदास हो गए।

अमरोली-छापराभाठा की गुरुकृपा क्लासेज के विद्यार्थियों का ग्रुप 22 दिसम्बर को डांग जिले में शबरीधाम और पंपा सरोवर घूमने गया था। डांग के महाल और बरडीपाड़ा मार्ग पर बस खाई में गिर गई थी। हादसे में दस बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि ३९ घायलों को इलाज के लिए न्यू सिविल अस्पताल में रैफर किया गया था। घायलों को ट्रोमा सेंटर में दूसरी मंजिल पर इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के वार्ड में भर्ती किया गया था। दो दिन बाद सात गंभीर मरीजों को वार्ड में शिफ्ट किया गया था, जबकि अन्य सभी मरीज छुट्टी लेकर चले गए थे। बाद में पांच और मरीजों को छुट्टी दे दी गई। दो बच्चों देव गौरांग पटेल (१०) और साक्षी अंकित श्रीजी (९) की हालत गंभीर थी। देव को सात से आठ यूनिट रक्त चढ़ाया गया।

साक्षी को किडनी में चोट लगी थी। न्यू सिविल अस्पताल में किडनी विभाग नहीं होने के कारण निजी चिकित्सकों को बुलाया गया। साक्षी को भी तीन से चार यूनिट रक्त चढ़ाया गया। उसके पैर की सर्जरी होनी थी, लेकिन बाद में उसे भी दवा से ठीक कर लिया गया।

परिजनों ने बताया कि सर्जरी और हड्डी विभाग के चिकित्सकों ने उनके बच्चों का काफी ख्याल रखा। इमरजेंसी में किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को फोन करने के लिए परिजनों को पहले से बता दिया गया था। आरएमओ डॉ. केतन नायक, सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निमेष वर्मा, हड्डी विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरि मेनन की निगरानी में सत्रह दिन लम्बे उपचार के बाद मंगलवार को दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अस्पताल ने देव और साक्षी को एम्बुलेंस में घर तक भेजने की व्यवस्था की।

अच्छी तरह देखभाल

न्यू सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने देव की अच्छी तरह देखभाल की। ऑपरेशन के समय और बाद में चिकित्सक देव को देखने आते रहे। सात-आठ यूनिट रक्त भी चढ़ा, जिसका चार्ज नहीं लिया गया। मैं हीरा कारखाने में नौकरी करता हूं। हादसे में पत्नी मनीषा भी घायल हुई थी। उसके दोनों हाथ में फैक्चर हुआ था। गौरांग पटेल, देव के पिता

एम्बुलेंस से घर छोड़ा

डांग बस हादसे में मेरे भाई की लडक़ी कृषा पटेल (१२) की मौत हो गई थी। वह पांचवी कक्षा में पढ़ती थी, जबकि साक्षी को गंभीर चोट आई थी। अस्पताल के चिकित्सकों ने अच्छी तरह उसका उपचार किया। नर्स समेत पूरे वार्ड के स्टाफ का व्यवहार अच्छा था। रक्त और दवा के कोई रुपए नहीं लिए गए। अंकित श्रीजी, साक्षी के पिता

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