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सूरत

सरकारी उपेक्षा का शिकार ऐतिहासिक दांडी

दरिया किनारे खेलने और बैठने के अधिकांश संसाधन हुए जर्जरशौचालयों पर ताले लटके, पानी की व्यवस्था भी नहीं

सूरतAug 29, 2018 / 11:12 pm

Sunil Mishra

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सरकारी उपेक्षा का शिकार ऐतिहासिक दांडी


नवसारी. विश्व प्रसिद्ध दांडी दरिया सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहा है। दरिया किनारे घूमने हर साल बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं, लेकिन उनके लिए सुविधाओं का अभाव है। इससे प्रशासन के प्रति लोगों में भारी नाराजगी है। विश्व प्रसिद्ध धरोहर स्थल पर असुविधाओं से लोग इतने नाराज हैं कि सोशल मीडिया भी अपनी नाराजगी जताने लगे हैं।
1998 में एक हैक्टेयर में वन चेतना केन्द्र बनाया गया

स्वतंत्रता आंदोलन में दांडी सत्याग्रह को लोग आज भी याद करते हैं। इसे देखते हुए दांडी को प्रवासन स्थल पर विकसित करने की घोषणा की गई थी। वन विभाग की ओर से यहां वर्ष 1998 में एक हैक्टेयर में वन चेतना केन्द्र बनाया गया था, जिसमें बगीचे और बच्चों के लिए खेल के साधन लगाए गए थे। वह भी आज जर्जर हो चुके हैं और कई टूट कर जमीन पर पड़े हैं। इसके कारण यहां आने वाले बच्चे टूटे साधनों पर खेलते हैं, जिससे उनके घायल होने की आशंका हमेशा रहती है। वन चेतना केन्द्र में लगी बेंच भी टूट गई है। गत दिनों यहां घूमने आए सैलानी ने टूटे व जर्जर साधनों समेत असुविधाओं का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल करते हुए प्रशासन से इस तरफ ध्यान देने का अनुरोध किया है।
यहां घूमने आए नवसारी के फारुक मेमण ने बताया कि बच्चों के साथ यहां घू्मने आए थे, लेकिन बगीचे में न तो बैठने की व्यवस्था है और न बच्चों के लिए खेल के साधन हैं। शौचालयों पर ताले लटके हैं और पानी की व्यवस्था भी नहीं है। परिवार के साथ आने वालों को बहुत परेशानी होती है।
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आवश्यक सुविधाओं का अभाव

वन चेतना केन्द्र की दूसरी ओर सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं, लेकिन उन पर ताले लटके हैं और शौचालय के बाहर पानी भी नहीं आता। इससे महिलाओं और बच्चों को बहुत परेशानी हो रही है। करीब 14 वर्ष पूर्व 2004 में मोरारी बापू की कथा के दौरान वन चेतना केन्द्र मे खेल के साधन लगाए गए थे। जो आज जर्जर हो चुके हैं। वन विभाग में अनुदान एवं स्टाफ कमी की समस्या से इसका रखरखाव ठीक से नहीं हो पाता। यहां बनाई सीढ़ी भी समुद्री लहरों के कारण टूट गई है।
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अनुदान मिलने पर मरम्मत
वन चेतना केन्द्र में लगाए खेल के साधन समुद्र की क्षारीय हवाओं के कारण जंग लगने से जर्जर हो गए हैं। सभी साधनों की मरम्मत के लिए कलक्टर से दरखास्त की गई है और नए साधनों का प्रोजेक्ट भी रखा गया है। करीब सात लाख रुपए का अनुदान मिलने पर सुविधाएं दुरुस्त होंगी।
डीआर भगत, रेंज फोरेस्टर, चिखली

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