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विकास की दौड़ में धड़ाधड़ खड़ी हुईं हाइराइज इमारतें

locationसूरतPublished: Apr 08, 2018 09:53:04 pm

मनपा के हाथ बंधे हैं तो सोसायटी की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों ने मूंद रखी हैं आंखें

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सूरत. विकास के नए पायदान चढ़ रहा सूरत तेजी से विकसित हो रहे शहरों में शुमार है, लेकिन हाइराइज इमारतें इस रफ्तार पर ब्रेक लगा सकती हैं। बीपीएमसी एक्ट के तहत मनपा के हाथ बंधे हैं तो सोसायटी की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों ने आंखें मूंद रखी हैं। कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स में धंधा कर रहे व्यापारी हों या रिहायशी इमारतों में रहने वाले लोग। कोई भी इन भवनों के भविष्य को लेकर चिंतित और गंभीर नहीं हैं। वर्ष 2001 में आए भूकंप की निशानी शहर की कई इमारतों पर खुदी नजर आती है।
मानसून से पहले मनपा प्रशासन सर्वे कराकर खानापूर्ति कर मरम्मत के नोटिस जारी कर देता है तो सोसायटी के कर्ता-धर्ता इनको देखे बगैर कचरा पात्र में डाल देते हैं। देख-रेख के अभाव में इमारतें वक्त से पहले जीर्ण-शीर्ण हो रही हैं। कई जगहों पर तो इनको स्ट्रक्चरल मजबूती देने के बजाय लीपापोती करके सजा-संवार दिया है।
इस कारस्तानी के बाद तकनीकी विशेषज्ञ के लिए भी समझना मुश्किल है कि इमारत कितनी मजबूत रह गई है। सोसायटी पदाधिकारियों की यह लापरवाही वहां रहने वाले लोगों को भारी पड़ सकती है। बरसों से शहर में बिल्डिंगों के कई हिस्सों के ढहने की घटनाएं आम हो चली हैं।
महानगरपालिका भी बेबस, कार्रवाई के हैं सीमित विकल्प

जर्जर इमारतों को लेकर मनपा के पास सीमित विकल्प हैं। बीपीएमसी एक्ट के तहत मनपा प्रशासन बिल्डिंग सोसायटी को स्ट्रक्चरल रिपोर्ट के लिए नोटिस जारी कर सकता है। इस नोटिस पर अमल नहीं करने पर मनपा सोसायटी पदाधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से बचता है। मनपा प्रशासन बिल्डिंग को खाली भी करा सकता है, लेकिन अधिकारियों को भी यह अधिक व्यावहारिक नहीं दिखता। वर्ष २०१४ में घोड़दौड़ रोड स्थित कन्हैया पैलेस अपार्टमेंट का हिस्सा ढहने के बाद मनपा प्रशासन ने १५ वर्ष पुरानी सभी इमारतों से स्ट्रक्चरल रिपोर्ट मंगाई थी। नोटिस भी जारी किए गए लेकिन अब मनपा टीम को भी नहीं पता कि नोटिसों का बाद में क्या हुआ?
मानसून में सहमा रहता है दमकल दस्ता

बारिश से पहले हर साल प्री-मानसून कार्रवाई के तहत जर्जर मकानों का सर्वे कर कार्रवाई करने का मनपा का दावा हर बार खोखला साबित होता रहा है। मानसून के दौरान दमकल दस्ता सहमा रहता है। जाने किस दिन, किस इमारत के ढहने की खबर आए और रेस्क्यू के लिए जाना हो। जर्जर इमारतों का डाटा लेने के लिए मनपा प्रशासन मानसून से पहले जोनवार सर्वे कराता है। वर्ष 2017 में जो सर्वे हुआ उसके मुताबिक 156 इमारतें ऐसी थीं जिन्हें या तो तत्काल मरम्मत की जरूरत थी या उन्हें खाली कराकर ढहा दिया जाना था। इनमें से 29 इमारतें ऐसी हैं, जहां न मरम्मत हुई न उन्हें ढहाया गया। शहर में 222 ऐसी इमारतें भी हैं जिन्होंने नोटिस के बावजूद मामूली मरम्मत भी नहीं कराई। मानसून में लगातार बरसात होने से पुरानी इमारतों के उन हिस्सों में रिसता रहता है जो मरम्मत के अभाव में कमजोर पड़ जाती हैं। सीपेज- लीकेज हुआ पानी ही इमारत को कमजोर करता है और हादसे का सबब बन जाता है।
table of shabby buildings in surat
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