चीन से आ रहे कपड़ों के कारण भारतीय कपड़ा उद्यमी परेशान
इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने और बांग्लादेश से आने वाले कपड़़ों पर मेक इन ओरिजिन सर्टिफिकेट की मांग करेंगे
चीन से आ रहे कपड़ों के कारण भारतीय कपड़ा उद्यमी परेशान
सूरत
चीन, वियतनाम सहित कई देशों से कम कीमत में इम्पोर्ट हो रहे कपड़ों के कारण सूरत सहित देशभर के कपड़ा उद्यमियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में फिआस्वी की शनिवार को पांडेसरा सीईटीपी में आयोजित वार्षिक सामान्य सभा में कपड़़ा उद्यमियों में चर्चा हुई। आगामी दिनों में फिर से एक बार उद्यमी विदेश से आयातित कपड़ों पर ड्यूटी बढाने का मांग करेंगे।
मीङ्क्षटग में अलग-अलग शहरों के लगभग 140 कपड़ा उद्यमी उपस्थित रहे। फिआस्वी के चेयरमैन भरत गांधी सहित ज्यादातर कपड़ा उद्यमियों का कहना था कि घरेलू बाजार में पहले से ही मंदी का दौर है ऐसे में चीन से आ रहे सस्ती कीमत के कपड़ों ने भारतीय कपड़ा उत्पादकों की हालत खराब कर रखी है। कुछ माल चीन सीधे कम इम्पोर्ट ड्यूटी पर भेज देता है जबकि ज्यादातर कपड़े वह बांग्लादेश से भेजता है। बांग्लादेश से भारत में आने वाले कपड़ो पर इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं लगने के कारण वह नि:शुल्क भारत में आ जाता है। इस तरह चीन के कपड़़े भारत में सस्ती कीमत में उपलब्ध हैं। वहीं दूसरी ओर भारत में बनने वाले कपड़ो की उत्पादन कीमत अधिक होने के कारण भारतीय कपड़ा उत्पादकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में कपड़ा संगठनों ने कई बार चीन सहित अन्य देशों से आने वाले कपड़ों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी बढ़ाने और वाया बांग्लादेश होकर आने वाले कपड़ों पर मेक इन ओरिजिन की मुहर और सर्टिफिकेट की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
इसके अलावा केन्द्र सरकार आने वाले दिनों में 10 साल के लिए टैक्सटाइल पॉलिसी घोषित करने वाली है, जिसमें कि 2025 तक देश में 27 लाख पावरलूम्स मशीने स्क्रेप करने का अंदाज रखा गया है। इसके सामने दुविधा यह है कि देश में या विदेश से आने वाली मशीनों की संख्या प्रति वर्ष 50 हजार है। ऐसे में पांच साल में इतना बड़ा मोडिफिकेशन कर पाना मुश्किल है। इन मुद्दों पर चर्चा की गई।
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