टिप्पणी… सुनील मिश्रा @ सूरत. दक्षिण गुजरात के वापी, भरुच, अंकलेश्वर, सूरत, नवसारी आदि शहरों को औद्योगिक इकाइयों के लिए जाना जाता है। यहां पर कई जीआइडीसी हैं, जिनमें निजी और सरकारी कंपनियों का संचालन होता है। इन कंपनियों में केमिकल, कपड़ा, फर्टिलाइजर, दवाओं सहित तमाम तरह के उत्पाद बड़े पैमाने पर बनाए जाते हैं। इन औद्योगिक कंपनियों में सैकड़ों से लेकर हजारों कर्मचारी रोजाना अपना पसीना बहाते हैं। इनमें स्थानीय लोगों के साथ ही उत्तरप्रदेश, बिहार, ओडि़सा सहित देश के अन्य राज्यों से आए गरीब लोग शामिल होते हैं। दो जून की रोटी का जुगाड़ करने आए इन लोगों की जान हर समय सांसत में रहती है। कंपनियों और फैक्ट्रियों में माल के उत्कृष्ट उत्पादन के साथ ही यहां काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा भी बेहद अहम है। दक्षिण गुजरात की औद्योगिक इकाइयों से आए दिन खबरें आती हैं कि कंपनी में भीषण आग लग गई और
रिएक्टर फट गया। सच में पूरे देश का भी हाल ऐसा ही है। हाल ही दिल्ली की एक फैक्ट्री में हुए आग हादसे में 43 लोग काल के गाल में समा गए। तमाम लोग घायल भी हुए हैं, जो अस्पतालों में भर्ती होकर मौत और जिंदगी के बीच के बीच झूल रहे हैं।
अक्सर लगातार प्रोडक्शन के चलते मशीनरी का रखरखाव नियमित तरीके से नहीं होता है। इस कारण अक्सर हादसे होते रहते हैं। जिन अधिकारियों और निरीक्षकों पर कंपनियों में जांच पड़ताल की जिम्मेदारी है, वे अपना काम सुचारू नहीं करते हैं। कंपनी के संचालक भी लापरवाही बरतते हैं। औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े महकमों के जिम्मेदार अगर अपना काम बेहतर तरीके से करें तो अक्सर होने वाले हादसों को टाला जा सकता है। देखा जाता है कि हादसों में वहां पर काम करने वाले गरीब श्रमिक और कर्मचारी ही सबसे ज्यादा शिकार बनते हैं। शायद ही कभी कंपनी के संचालक इसका शिकार बने हों। हादसे के बाद घायल कर्मचारियों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मृत कर्मचारियों के आश्रित परिजनों को असमय परेशानियों के चक्रव्यूह में उलझ जाना पड़ता है। बुधवार को सुबह होने से पहले ही खबर आई कि वापी के औद्योगिक क्षेत्र के जे टाइप में आर-3 क्रोप केयर कंपनी के प्रोडक्शन प्लांट में रिएक्टर फटने से चार कर्मचारी घायल हो गए। रिएक्टर का प्रेशर बढऩे से यह हादसा हुआ बताया जा रहा है। हादसे के बाद कंपनी में भी आग लग गई। धमाका इतना बड़ा था कि आसपास की कई कंपनियों के अलावा करीब 5 किमी के दायरे में स्थित घरों की खिड़कियों के कांच तक चटक गए। कंपनी केमिकल का उत्पादन करती है। करीब एक साल पूर्व वापी के ही सेकेंड फेज स्थित ग्रोवर एण्ड वेल कंपनी में रिएक्टर का तापमान बढ़ जाने से वेसेल्स फट गया था। आग लगने से आसपास की कंपनियों में भी खासा नुकसान हुआ था। हालांकि यहां पर जनहानि नहीं हुई थी। नवसारी जिले की जलालपोर तहसील के आरक सिसोद्रा गांंव मार्ग पर स्थित मेजिक्रेट बिल्ंिडग सोल्यूशन के प्लांट में 18 अप्रेल को ऑटोक्लेव मशीन के पांच नंबर का दरवाजा ठीक से बंद न होने के कारण बॉयलर में वाष्प की गर्मी बढऩे पर धमाका हो गया था। हादसे में वहां काम कर रहे आठ कर्मचारी झुलस गए और सत्यप्रकाश चौबे (40) नामक कर्मचारी की मौत हो गई थी।
हमें समझना होगा कि औद्योगिक दुर्घटनाएं की उत्पत्ति कार्य और कर्मचारी से संबंधित दोषपूर्ण अवस्थाओं के कारण होती है। दुर्घटना के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मशीनों में तकनीकी खराबी, कर्मचारियों का कुशल नहीं होना, सुरक्षा नियमों की अनदेखी, मनोवैज्ञानिक कारणों में कर्मचारियों का मनोबल उच्च न होना, उचित सलाह नहीं मिलना आदि शामिल है। प्रशासन, औद्योगिक इकाइयों के संचालकों और औद्योगिक सुरक्षा के जिम्मेदार जांच अधिकारियों और निरीक्षकों को सुनिश्चित करना होगा कि औद्योगिक इकाइयों में होने वाले हादसों पर कैसे काबू पाया जाए तथा जान-माल के नुकसान से भी बचा जाए। इसके लिए कारखानों में सुरक्षा तंत्र एवं प्रबंधन द्वारा नियमित निरीक्षण जरूरी है। साथ ही हरसंभव सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने होंगे। ऐसा नहीं करने पर आए दिन औद्योगिक हादसे देखने को मिलते ही रहेंगे। जो कतई उचित नहीं है।
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