12 घंटे का करवाने के बाद भी महज 120 से दो सौ रुपए वेतन जानकारी के अनुसार आठ घंटे के काम का 305 रुपए मजदूरी सरकार द्वारा तय की गई है, लेकिन गुंदलाव जीआइडीसी की कंपनियों में 12 घंटे का करवाने के बाद भी महज 120 से दो सौ रुपए वेतन दिया जाता है। ज्यादातर कंपनियों में ठेका प्रथा कायम है जिससे हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी समय पर श्रमिकों को वेतन नहीं मिल पाता है। ठेेकेदार से लेकर कंपनी संचालक इन मजदूरों का शोषण करते हंै, लेकिन लेबर विभाग के अधिकारी कंपनियों में जांच करने की जहमत नहीं उठाते हैं। कम और समय पर वेतन न मिलने से श्रमिकों को घर चलाने में दिक्कत होती है। यहां की एक कंपनी में काम करने वाले मूलत: यूपी के जौनपुर निवासी विनोद सिंह के अनुसार आज भी कंपनी संचालक नोटबंदी और जीएसटी से अपनी हालत खराब बताकर कामदारों को समय पर वेतन नहीं देते हैं। उसने आरोप लगाया कि दस घंटे काम करवाने के बाद महज दो सौ रुपए वेतन दिया जा रहा है। ज्यादा वेतन मांगने पर नौकरी से निकालने या कोर्ट जाने की धमकी देकर उन्हें चुप करवा दिया जाता है।
किसी ने लिखित शिकायत नहीं की
इस बारे में लेबर कमिश्नर ने कहा कि किसी मजदूर ने अभी तक लिखित में शिकायत नहीं की है। यदि इस तरह की शिकायत मिले तो ऐसे कंपनी संचालकों पर कार्रवाई होगी।