संस्था की गीता दीदी ने भारत को संतों की भूमि बताते हुए 15 दिसंबर 1876 को जन्मे व ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज के प्रजापिता ब्रह्मा बनने के बारे में बताया। लुन्सीकुई से शुरू यह दौड़ इटालवा और वहां से लुन्सीकुई पहुंचकर छह किमी की दूरी पूरी कर संपन्न हुई।
जिला विकास अधिकारी, गीता दीदी समेत अन्य महानुभावों ने झंडी दिखाकर दौड़ का प्रारंभ करवाया। इसमें नारी सुरक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, व्यसनमुक्ति, सडक़ सुरक्षा समेत कई सामाजिक संदेश भी लोगों को दिया गया। दौड़ पूरी करने वालों को प्रमाणपत्र भी दिया गया।