परिजनों का कहना है कि गुमशुद्गी दर्ज करवाने के दौरान हमने श्यामलाल, उसके साथी आलोक यादव, ज्वाला प्रसाद पर हत्या की आशंका जताई थी। उनसे पूछताछ कर जांच करने के लिए पुलिस से गुहार लगाई थी। श्यामप्रसाद ने धोखे से रामफेर के प्लॉट हथिया लिए थे। रामफेर ने एक डवलपर से १५ प्लॉट लिए थे। रामफेर अधिक पढ़े लिखे नहीं होने के कारण उन प्लॉट के अपने नाम पर कागज बना लिए थे, लेकिन प्लॉट बिक्री के बाद रुपए नहीं दे रहा था। गोड़ादरा का भी एक प्लॉट उसने बेच दिया था लेकिन रुपए नहीं दिए थे। इसको लेकर रामफेर का श्यामलाल के साथ विवाद भी हुआ था, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टा उन्हें यह कहा कि श्यामलाल प्रतिष्ठित व्यक्ति है उन पर क्यों आरोप लगाते हो।
मामले की जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक केबी झाला ने बताया कि दोनों ने डिंडोली रामीपार्क निवासी आलोक यादव के कहने पर हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देना कबूल किया। आलोक की रामफेर के साथ किसी बात को लेकर रंजिश थी। उसके कहने पर वे संदीप यादव और रामलोटन यादव के साथ मुंबई से सूरत आए तथा आलोक के घर पर ठहरे। सुबह आठ बजे प्लॉट दिखाने के बहाने रामफेर को एक कार में बिठा कर आलोक के घर ले आए। वहां पर लाठी से उसके सिर में वार कर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को बोरे में पैक किया और रात में शव सीवरेज लाइन में फेंक दिया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जीतेन्द्र से दिवाकर से पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने रामफेर की हत्या के समय मोबाइल से वीडियो भी बनाया था। पुलिस का कहना है कि घटना के संबंध में रामफेर की पत्नी मदीना गौतम की प्राथमिकी के आधार पर हत्या का मामला दर्ज कर जीतेन्द्र और दिवाकर को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया है।