इसकी खासियत यह है कि आयोजकों ने 9 दिन की बजाय 5 दिन के लिए अश्विन शुक्ल षष्टी सोमवार को दुर्गा स्थापना की है। विजयदशमी के दिन मूर्ति का विसर्जन होगा। कमेटी के मुखिया दीपक दत्ता ने बताया कि पिछले 6 वर्षों से दुर्गा महोत्सव मनाया जाता है। पंडाल में मां दुर्गा के साथ सरस्वती, लक्ष्मी, गणपति और कार्तिकेय की पूजा होती है। दुर्गा महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम व गरबा व डांडिया नृत्य आदि नहीं रखे हैं। मां के दरबार में महिलाएं सिंदूर लगाकर अटल सुहाग की कामना करती है।
नवरात्र के अंतिम रोज मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करके एक दूसरे को सिंदूर लगाएंगी। बंगाल में यह करीब 400 वर्ष पुरानी परंपरा है। मान्यता है कि नवरात्र के दौरान मां दुर्गा पृथ्वी पर रहकर दसवें दिन ससुराल के लिए विदा होती है। बंगाल में उनकी विदाई के उत्सव को सिंदूर खेला के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे भाव यह है कि बेटी मायके से विदा हो रही है, उसका सुहाग अमर बना रहे और खुशियों का आंगन जिंदगीभर खिलता रहे।
नवरात्र महोत्सव में शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थी गरबा और डांडिया रास करके खुशियां मना रहे हैं। एसएसआर कैम्पस में विद्यार्थियों ने गरबा एवं डांडिया नृत्य करके सांस्कृतिक एकता का परिचय दिया। विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों ने भी गरबा में हिस्सा लिया। मां दुर्गा की आरती के बाद समूह में गरबा खेला व बेस्ट ड्रेस, बेस्ट स्टेप्स जैसे प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। अंत में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
दमण. नारायण पार्क में उत्तर भारतीय समाज द्वारा दुर्गा की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू किया गया है। पिछले कई वर्षों से नारायण पार्क में मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। इस अवसर पर दमण-दीव सांसद लालू पटेल ने भी दुर्गा पूजा में भाग लिया।